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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नई दरार पैदा कर दी है। इस हमले में जब निर्दोष पर्यटकों को चुन-चुनकर मारा गया, तो देशभर में आक्रोश फैल गया। लेकिन इस गुस्से की गूंज अब सिर्फ देश के अंदर तक सीमित नहीं रही—सीमा पर भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर भारतीय और पाकिस्तानी सेनाएं आमने-सामने हैं।

पाकिस्तानी सियासत में घबराहट है। उनके नेता खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं कि भारत किसी भी समय जवाबी कार्रवाई कर सकता है। LoC पर लगातार सीजफायर उल्लंघन हो रहे हैं, जिनका जवाब भारतीय सेना बेहद अनुशासन और सटीकता के साथ दे रही है।

अब सवाल यह है कि क्या यह स्थिति युद्ध की ओर इशारा कर रही है? या फिर यह सीमित सीमा संघर्ष बनकर रह जाएगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें LoC की भूमिका, इसकी भौगोलिक स्थिति और मौजूदा सैन्य गतिविधियों को गहराई से समझना होगा।

1. पहलगाम हमला: सीमा पर टकराव की शुरुआत

22 अप्रैल को हुआ पहलगाम आतंकी हमला, जहां हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर मारा गया, भारत की सुरक्षा नीति में एक नए मोड़ की शुरुआत बनता दिख रहा है। यह हमला न केवल एक मानवीय त्रासदी थी, बल्कि यह एक सुनियोजित आतंकवादी संदेश भी था—भारत को अस्थिर करने की एक और कोशिश।

हमले के बाद भारत की ओर से राजनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर स्पष्ट संकेत मिले कि अब कोई ढील नहीं बरती जाएगी। इस संदेश का असर पाकिस्तान में साफ नजर आया—नेताओं और सैन्य अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका जाहिर की।

हमले के बाद पाकिस्तान में खौफ और हलचल

पाकिस्तान के राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों की भाषा में अचानक डर और रक्षात्मकता देखने को मिल रही है। वहां के मीडिया और रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत किसी भी वक्त सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

LoC पर पाकिस्तानी सेना की हरकतें इस खौफ की पुष्टि करती हैं—वे लगातार सीजफायर तोड़ रहे हैं, लेकिन बड़े स्तर पर गोलीबारी से बच रहे हैं। यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान आक्रामक दिखना चाहता है, लेकिन असल में वह भारत की प्रतिक्रिया से डरा हुआ है।

2. LoC: भारत और पाकिस्तान की अस्थायी सीमा

LoC, यानी लाइन ऑफ कंट्रोल, भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में एक अस्थायी लेकिन प्रभावी सीमा है। यह 1972 में शिमला समझौते के तहत स्थापित की गई थी, और इसे दोनों देशों द्वारा 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' के रूप में मान्यता दी जाती है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं माना जाता।

LoC उस बिंदु को चिन्हित करती है जहां 1947-48 के युद्ध के बाद दोनों देशों की सेनाएं रुकी थीं। यही कारण है कि इसे केवल एक अस्थायी रेखा कहा जाता है, जो भविष्य में राजनीतिक समाधान की प्रतीक्षा कर रही है।

कैसे बनी यह नियंत्रण रेखा और क्यों है विवादित?

LoC को लेकर विवाद इसलिए है क्योंकि यह सीमा किसी अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत स्थायी रूप से तय नहीं हुई है। पाकिस्तान इसे अधिकृत नहीं मानता और बार-बार इसे चुनौती देता है, खासकर कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित करके।

भारत की ओर से बार-बार यह कहा गया है कि LoC को किसी भी हाल में नहीं लांघा जाएगा, लेकिन अगर पाकिस्तान ने कोई उकसाने वाला कदम उठाया तो जवाब ज़रूर मिलेगा।

3. LoC की भौगोलिक स्थिति और लंबाई

भारत और पाकिस्तान के बीच LoC की कुल लंबाई लगभग 568.4 किलोमीटर है, जिसमें जम्मू क्षेत्र में 224.5 किलोमीटर, और कश्मीर क्षेत्र में 343.9 किलोमीटर की सीमा शामिल है। इसके अलावा, अखनूर से लखनपुर तक की 209.8 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) भी है।

ये सीमाएं न केवल सैन्य दृष्टि से संवेदनशील हैं, बल्कि यहां बसे गांवों और नागरिक आबादी के लिए भी खतरनाक हैं। गोलीबारी का सबसे अधिक असर आम नागरिकों पर पड़ता है, जिन्हें अक्सर अपने घर छोड़कर शरणार्थी कैंपों में रहना पड़ता है।

LoC के अहम संवेदनशील क्षेत्र

वर्तमान में जो क्षेत्र सबसे अधिक सक्रिय हैं, वे हैं:

अखनूर

नौशेरा

सुंदरबनी

उरी (बारामूला)

कुपवाड़ा (तंगधार और केरन सेक्टर)

यह सभी क्षेत्र भारत की 15वीं और 16वीं कोर के अंतर्गत आते हैं और यहां तैनात भारतीय जवान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

4. वर्तमान हालात: सीमावर्ती इलाकों में तनाव चरम पर

पाकिस्तान की पुरानी रणनीति रही है—सीमावर्ती क्षेत्रों में सीजफायर उल्लंघन कर भारत को उकसाना और फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को पीड़ित बताना। इस बार भी वही हो रहा है। पाकिस्तान लगातार छोटे हथियारों और मोर्टार से फायरिंग कर रहा है, खासकर परगवाल सेक्टर में, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।

पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा की जा रही इन हरकतों का भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।

भारतीय सेना की तैयारियां और जवाबी रणनीति

भारत की सेना स्थिति को बखूबी समझती है और इस बार उसने संयम के साथ लेकिन सख्त रणनीति अपनाई है। सेना के पास उन सभी पाकिस्तानी पोस्ट की वीडियो और तस्वीरें हैं, जहां से फायरिंग हो रही है। इन सबूतों को इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारतीय सेना की हर टुकड़ी अलर्ट मोड पर है, और LoC के हर इंच की निगरानी की जा रही है। कोई भी हरकत अब बिना जवाब के नहीं जाएगी।

5. भारत की सैन्य रणनीति: संयम और तैयारी दोनों

अब तक भारतीय सेना ने आर्टिलरी गन या एयर डिफेंस गन का इस्तेमाल नहीं किया है। इसकी वजह साफ है—पाकिस्तान अभी छोटे हथियारों से हमला कर रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत कमज़ोर है। जवाब देने की पूरी तैयारी है, और वह भी अत्याधुनिक हथियारों के साथ।

सेना का हर जवान सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात है, और रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के आदेश हैं।

डीजीएमओ को मिली जानकारी और सेना की सतर्कता

भारतीय सेना की 15वीं और 16वीं कोर ने सेना मुख्यालय और डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है।

इसमें LoC पर पाकिस्तानी गतिविधियों, हथियारों के प्रकार और उनके द्वारा की जा रही हरकतों का पूरा डेटा शामिल है। इसका उद्देश्य है—सटीक और प्रभावी जवाब देना, वो भी बिना किसी बड़ी क्षति के।


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