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The News 11 , Digital Desk: मई 2025 का महीना धार्मिक और खगोलीय दोनों दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस महीने न सिर्फ वट सावित्री व्रत, बुद्ध पूर्णिमा, और शनि जयंती जैसे बड़े पर्व पड़ रहे हैं, बल्कि कुल 6 ग्रह अपनी राशियों में परिवर्तन भी कर रहे हैं। यह परिवर्तन जीवन के कई पहलुओं पर असर डालेगा, वहीं व्रत-त्योहार आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देंगे।

1. मई 2025: आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर महीना

मई महीने की शुरुआत वैशाख शुक्ल चतुर्थी से हो रही है और इसका समापन ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी पर होगा। इस बार चतुर्थी से ही विनायक चतुर्थी व्रत की शुरुआत हो रही है, जिससे पूरे महीने में धार्मिक उत्साह बना रहेगा।

6 बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन

इस महीने बुध (दो बार), सूर्य, शुक्र, गुरु, राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में इतने सारे ग्रहों का एक ही महीने में गोचर अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इससे स्वास्थ्य, व्यवसाय, वित्त और रिश्तों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।

2. व्रत-त्योहार तिथियां और उनके महत्व

3 मई – गंगा सप्तमी

मां गंगा के पुनर्जन्म की तिथि। गंगोत्री दर्शन और गंगा स्नान का विशेष पुण्य।

5 मई – सीता नवमी

माता सीता के प्राकट्य दिवस पर व्रत। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं उपवास।

8 मई – मोहिनी एकादशी

भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा। पापों के नाश और अमृत तुल्य फल की प्राप्ति।

11 मई – नृसिंह जयंती

भगवान विष्णु के उग्र रूप 'नृसिंह' की आराधना। हिरण्यकश्यपु वध की कथा से जुड़ी।

12 मई – वैशाख पूर्णिमा / बुद्ध पूर्णिमा / कूर्म जयंती

भगवान बुद्ध का जन्म दिवस। साथ ही भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का पर्व। विशेष स्नान और दान का महत्व।

13 मई – नारद जयंती

देवर्षि नारद की जयंती। ज्ञान, संगीत और संचार के प्रतीक की आराधना।

16 मई – एकदंत संकष्टी चतुर्थी

गणपति के 'एकदंत' स्वरूप की उपासना। संकटों के निवारण का दिन।

23 मई – अपरा एकादशी

पुण्य फल देने वाली एकादशी। व्रत करने से सारे पाप मिटते हैं।

24 मई – शनि प्रदोष व्रत

शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत। शिव और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

26 मई – शनि जयंती / वट सावित्री अमावस्या

शनि देव का जन्मदिन। विवाहित स्त्रियां वटवृक्ष के नीचे उपवास कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

27 मई – भौमवती अमावस्या

मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या। स्नान और दान से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

3. क्यों है मई 2025 खगोलीय दृष्टि से विशेष?

इस महीने बुध का दो बार राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि यह शिक्षा, व्यापार, लेखन और संवाद से जुड़ा ग्रह है। इसके परिवर्तन से बिजनेस डील्स, स्टूडेंट्स और मीडिया सेक्टर में विशेष असर देखा जा सकता है।

सूर्य, शुक्र, गुरु, राहु, केतु भी करेंगे गोचर

इन सभी ग्रहों का गोचर राशियों की दशा, दिशा और ग्रहों की युति में परिवर्तन लाएगा, जिससे राजनीति, स्वास्थ्य, आर्थिक निर्णय और व्यक्तिगत संबंधों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

4. पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

इन व्रतों में पूजन विधि शास्त्रों में स्पष्ट की गई है:

गणेश पूजा: दूर्वा, सिंदूर, मोदक अर्पण करें।

एकादशी: निर्जला व्रत या फलाहार, तुलसी पूजा करें।

प्रदोष व्रत: शाम को भगवान शिव की विशेष पूजा, दीपदान करें।

विशेष जप, स्नान और दान का महत्वविशेष रूप से पूर्णिमा और अमावस्या के दिन:पवित्र नदी में स्नान करें


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