पंचक काल हिंदू पंचांग के अनुसार, 22 अप्रैल से अग्नि पंचक शुरू होने वाला है, जो 26 अप्रैल तक रहेगा। पंचक के दौरान किए गए किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को लेकर ज्योतिष शास्त्र में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। यह समय तब होता है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से होते हुए रेवती, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में भ्रमण करता है, और इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जाता है। इस बार पंचक का यह अग्नि पंचक 22 अप्रैल से लेकर 26 अप्रैल तक रहेगा।
पंचक के दौरान न करें ये 5 काम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक काल के दौरान निम्नलिखित कार्यों को करने से बचना चाहिए:
लकड़ी इकट्ठा करना या खरीदना: इस दौरान लकड़ी इकट्ठा करना या उसे खरीदना अशुभ माना जाता है।
मकान की छत ढलवाना: यह कार्य भी पंचक काल में नहीं किया जाना चाहिए।
दाह संस्कार करवाना: पंचक में मृत्यु के समय दाह संस्कार करना भी अशुभ माना जाता है।
बेड, चारपाई, पलंग बनवाना: इस समय बिस्तर या पलंग जैसी वस्तुएं बनवाने से भी बचना चाहिए।
दक्षिण दिशा में यात्रा: पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करना भी अनुशंसित नहीं है।
क्या पंचक में मृत्यु होना शुभ या अशुभ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचक काल के दौरान किसी का निधन होना अत्यंत अशुभ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पंचक के दौरान किसी की मृत्यु होने से उस व्यक्ति के परिवार या कुटुंब में अन्य पांच लोगों की मृत्यु का खतरा हो सकता है।
पंचक में मृत्यु होने पर क्या करें?
अगर पंचक के दौरान किसी की मृत्यु होती है, तो उसे पंचक दोष से बचाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। शव का अंतिम संस्कार करते समय कुश या आटे के 5 पुतले बनाए जाते हैं और इन्हें शव के पास रखकर जलाया जाता है। ऐसा करने से पंचक का दोष नहीं लगता है और मृतक को शांति मिलती है।
पंचक में शुभ कार्य
हालांकि पंचक काल में अधिकांश कार्य अशुभ माने जाते हैं, कुछ विशेष कार्यों के लिए यह समय फायदेमंद हो सकता है। अग्नि पंचक के दौरान कोर्ट कचहरी या कानूनी मामलों में फलदायी परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, इस दौरान जमीन की खुदाई, अग्नि से संबंधित कार्य या भवन निर्माण जैसे कार्य अशुभ माने जाते हैं।
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Brijendra
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