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भगवान परशुराम को विष्णु के छठे अवतार और चिरंजीवी पुरुष माना जाता है। वे न केवल शक्ति, साहस और न्याय के प्रतीक हैं, बल्कि धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने ऐसा संकल्प लिया था, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। इस वर्ष परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं भगवान परशुराम के जन्म, पूजा विधि और 21 बार क्षत्रियों के संहार की कथा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

 परशुराम जयंती 2025 तिथि और मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025, शाम 05:31 बजे

तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 02:12 बजे

जयंती पर्व मनाया जाएगा: 29 अप्रैल, मंगलवार को (प्रदोष काल में अवतार होने के कारण)

 भगवान परशुराम की पूजा के लाभ

बल, पराक्रम और साहस की प्राप्ति

जीवन से भय का नाश और सफलता के नए द्वार खुलते हैं

कष्टों का निवारण और धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा

शस्त्र और ब्रह्मविद्या में सिद्धि प्राप्त होती है

भगवान परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का संहार क्यों किया?

यह प्रसंग धर्म और न्याय के लिए उठाए गए एक संकल्प की कथा है।

महिष्मति नगरी के सहस्त्रार्जुन को अपने बल का अहंकार था। वह धर्म, वेद और ऋषियों का अपमान करता था।

परशुराम ने उसके अत्याचारों से क्रोधित होकर युद्ध में उसका वध कर दिया।

इसके बाद, सहस्त्रार्जुन का पुत्र और सहयोगी क्षत्रियों ने महर्षि जमदग्रि (परशुराम के पिता) की हत्या कर दी।

जब परशुराम ने देखा कि पिता का शरीर 21 घावों से छलनी है, तब उन्होंने शपथ ली कि वे हैहय वंश और सहयोगी क्षत्रियों का 21 बार संहार करेंगे।

 पुराणों के अनुसार:

भगवान परशुराम ने पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय विहीन कर अपने व्रत को पूरा किया और अंत में क्षमा, तप और शांति के मार्ग पर चले गए।

 कौन हैं भगवान परशुराम?

अवतार: विष्णु के छठे अवतार

जन्म: रेणुका और महर्षि जमदग्रि के पुत्र

विशेषता: चिरंजीवी (अमर) देवता

शस्त्र: परशु (भगवान शिव से प्राप्त)

चरित्र: धर्म रक्षक, गुरु द्रोणाचार्य के भी गुरु

 जयंती पर क्या करें?

परशुराम मंत्र का जाप करें – “ॐ परशुरामाय नमः”

ब्राह्मणों को दान, भोजन और वस्त्र का दान करें

शस्त्र पूजा करें और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लें


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