The News 11 , Digital Desk: हर महीने आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी या विनायकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश, जिन्हें 'विनायक' भी कहा जाता है, को समर्पित होता है। 2025 में यह शुभ तिथि 1 मई गुरुवार को मनाई जाएगी।
इस दिन किए गए व्रत, पूजन और जप-तप से व्यक्ति को ज्ञान, धैर्य और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसे वरद विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन गणपति बप्पा वरदान देने वाले स्वरूप में पूजित होते हैं।
1. क्या है विनायक चतुर्थी और क्यों मनाई जाती है?
'विनायक' शब्द का अर्थ होता है विघ्नों को दूर करने वाला। भगवान गणेश का यह स्वरूप विशेष रूप से जीवन के प्रारंभिक कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना गया है।
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कहते हैं विनायकी चतुर्थी
पुराणों के अनुसार, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को 'विनायकी' कहा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को 'संकष्टी'। दोनों ही दिन गणेश उपासना के लिए अत्यंत पुण्यदायी माने जाते हैं।
2. विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांगानुसार, विनायक चतुर्थी की तिथि 30 अप्रैल 2025 दोपहर 2:12 बजे शुरू होकर 1 मई 2025 प्रातः 11:23 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि 1 मई को है, इसलिए व्रत और पूजा 1 मई गुरुवार को ही किए जाएंगे।
मध्याह्न काल में गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय
गणपति पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ समय दोपहर 11 बजे से 1:30 बजे तक का होता है, जिसे मध्याह्न मुहूर्त कहा जाता है। इस काल में भगवान गणेश की पूजा से अधिकतम फल प्राप्त होता है।
3. व्रत और पूजा की विधि: कैसे करें श्री गणेश की उपासना
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया और स्नान के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए, जो गणेश जी को प्रिय हैं।
मिट्टी, धातु या धातुयुक्त गणेश प्रतिमा का पूजन
गणेश जी की मिट्टी, चांदी, तांबे या सोने की प्रतिमा स्थापित कर संकल्प लें और उन्हें षोडशोपचार विधि से पूजें। पूजा में कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, सिन्दूर, दूर्वा और मोदक/लड्डू अर्पित करें।
4. गणेश जी को क्या अर्पित करें? भोग और मंत्र
गणेश जी को 21 दूर्वा दल, सिन्दूर और बूंदी के लड्डू का भोग अर्पण करना शुभ माना जाता है। इनमें से 5 लड्डू ब्राह्मणों को दान करें और बाकी प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
'ॐ गं गणपतये नमः' के साथ चढ़ाएं 21 दूर्वा दल
पूजन के समय गणेश मंत्र – 'ॐ गं गणपतये नमः' का 108 बार जप करें और प्रत्येक मंत्र के साथ एक दूर्वा दल अर्पित करें। इससे सारी बाधाएं दूर होती हैं।
5. कथा, मंत्र और आरती: कैसे करें संध्या पूजन
संध्याकाल में गणपति की व्रत कथा, गणेश चालीसा, श्री गणेश सहस्रनामावली और अथर्वशीर्ष का पाठ करें। इससे व्रत का पूरक फल मिलता है।
संकटनाशन स्तोत्र और 'ॐ गणेशाय नमः' जप से पूर्ण होते हैं मनोरथ
संकटनाशक स्तोत्र के पाठ के बाद आरती करें और अंत में 'ॐ गणेशाय नमः' मंत्र का माला जप करें। माना जाता है कि इस
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Brijendra
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