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The News 11 , Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान को दुनिया की नजरों में आतंकवाद के संरक्षक देश के रूप में खड़ा कर दिया है। भारत से उसकी दुश्मनी नई नहीं है, लेकिन अब सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देश पाकिस्तान से राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दूरी बनाए हुए हैं।

एक तरफ पाकिस्तान खुद को मुस्लिम देशों का अगुआ मानता है, दूसरी ओर उसके पड़ोसी और पारंपरिक सहयोगी भी उससे चिंतित और सतर्क हैं। चलिए, समझते हैं कि क्यों पाकिस्तान की वैश्विक छवि गिरती जा रही है और कौन-कौन देश उसके "दुश्मन" बन चुके हैं।

1. आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की पुरानी पहचान

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, भारत और कई यूरोपीय देश समय-समय पर चिंता जता चुके हैं। लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की खुलेआम मौजूदगी ने पाकिस्तान को आतंकी संगठनों का गढ़ बना दिया है।

ओसामा बिन लादेन और 9/11 के बाद की वैश्विक सोच

9/11 के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया। यह खुलासा दुनिया के सामने पाकिस्तान की दोहरे मापदंड वाली आतंक नीति को उजागर करने के लिए काफी था।

2. भारत से तनातनी: सबसे पुराना दुश्मन देश

भारत और पाकिस्तान के बीच 1947, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध हो चुका है। कश्मीर मुद्दे पर तनातनी आज भी बरकरार है। पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकी गतिविधियों को सपोर्ट और फंड करता रहा है।

पहलगाम जैसे हमले पाकिस्तान की भूमिका उजागर करते हैं

22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने भारत के धैर्य की परीक्षा ली है। इस हमले में निर्दोष 26 नागरिकों की हत्या हुई और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान से संचालित संगठन TRF ने ली। इससे भारत में गुस्से का माहौल है और पाकिस्तान की निंदा दुनियाभर में हो रही है।

3. पाकिस्तान के भीतर की बगावत: बलूच और पख्तून विद्रोह

पाकिस्तान के अंदर ही बलूचिस्तान एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दशकों से अलगाववादी आंदोलन चल रहा है। बलूच आर्मी ने कई बार पाकिस्तान सेना और सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया है। बलूच नेता पाकिस्तान पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगाते हैं।

खैबर पख्तूनख्वा में पाक सेना की मुश्किलें

पख्तून बहुल इलाकों, खासकर खैबर पख्तूनख्वा, में कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों का प्रभाव है। पाकिस्तान सेना के काफिले और कैंप पर नियमित हमले इस बात का सबूत हैं कि पाकिस्तानी स्टेट कंट्रोल यहां कमजोर है।

4. अफगानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब के साथ बिगड़ते रिश्ते

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद, पाकिस्तान ने शुरुआत में साथ देने की कोशिश की, लेकिन अब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और झड़प आम हो गई है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान पर सुरक्षात्मक हस्तक्षेप का आरोप लगाता है।

ईरान से सीमा विवाद और सऊदी की नाराजगी

ईरान के साथ भी पाकिस्तान के रिश्ते ठीक नहीं हैं। दोनों देशों की सीमाएं बलूचिस्तान में मिलती हैं, जहां से आतंकी गतिविधियों और तस्करी की घटनाएं बढ़ी हैं।

सऊदी अरब पाकिस्तान का पारंपरिक दोस्त रहा है, लेकिन चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी ने सऊदी अरब को दूरी बनाने पर मजबूर कर दिया है।

5. अमेरिका और पश्चिमी देशों से पाकिस्तान की कड़वाहट

अमेरिका के साथ पाकिस्तान का रिश्ता दिखावटी दोस्ती में तब्दील हो चुका है। ओसामा की मौत के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता में कटौती की और कई बार आतंकवाद को लेकर चेतावनी दी।

रूस और यूरोपीय देशों से भी सीमित सहयोग

रूस और यूरोपियन यूनियन भी पाकिस्तान को डिप्लोमैटिकली सीमित रखते हैं। पाकिस्तान की चीनी झुकाव नीति ने उसे पश्चिमी देशों से अलग-थलग कर दिया है।


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