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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और मौजूदा समय में भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे ‘बेहद परेशान करने वाला और दुखद’ बताया है, लेकिन इस संवेदना के साथ उन्होंने भारत पर तीखे आरोप भी लगाए हैं।

इमरान खान का यह बयान उस समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही भारी तनाव का माहौल है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या हुई, जिसमें महिलाओं और पर्यटकों को भी बर्बरता से मारा गया।

जहां भारत इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF द्वारा प्रायोजित बता रहा है, वहीं इमरान खान इस मुद्दे पर भारत को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका यह बयान न केवल अंतरराष्ट्रीय समीकरणों को प्रभावित करता है, बल्कि पाकिस्तान की दोहरी नीति की ओर भी इशारा करता है।

1. इमरान खान का बयान: हमले को बताया दुखद, पर भारत पर उठाए सवाल

इमरान खान ने सोशल मीडिया मंच 'X' पर लिखा, "पहलगाम घटना में लोगों की जान जाना बेहद परेशान करने वाला और दुखद है। मैं पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।"

यहां तक तो उनका रुख अपेक्षाकृत संतुलित लगता है, लेकिन इसके बाद उनका बयान पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले लेता है।

भारत को ठहराया 'गैर-जिम्मेदार'

इमरान खान ने कहा कि भारत एक बार फिर बिना जांच-पड़ताल के पाकिस्तान पर दोष मढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब पुलवामा हमला हुआ था, तब भी भारत कोई ठोस सबूत नहीं दे पाया था और अब फिर वही दोहराया जा रहा है।

उनके अनुसार भारत को जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है, खासकर तब जब वह 1.5 अरब लोगों का प्रतिनिधि देश है।

2. पुलवामा से पहलगाम तक: इमरान की बयानबाजी की समानता

इमरान खान ने सीधे तौर पर 2019 के पुलवामा हमले का हवाला देते हुए कहा कि तब भी भारत ने कोई ठोस सबूत नहीं दिया था और पाकिस्तान ने सहयोग की पेशकश की थी।

वह दावा करते हैं कि वही कहानी अब दोबारा दोहराई जा रही है, जिसमें भारत आत्मनिरीक्षण करने के बजाय पाकिस्तान पर आरोप मढ़ रहा है।

एक बार फिर भारत पर दोषारोपण का आरोप

इस बयान में पीड़ितों के लिए संवेदना कम और भारत के प्रति कटाक्ष अधिक दिखाई देता है। यह रुख पाकिस्तान की पुरानी नीति को दोहराता है, जिसमें आतंकी हमलों की निंदा की जगह 'संदेह और इनकार' की रणनीति अपनाई जाती है।

3. 'शांति हमारी प्राथमिकता, लेकिन कायरता नहीं' – इमरान की चेतावनी

इमरान खान ने भारत को सलाह देते हुए कहा कि उसे “खिलवाड़” बंद करना चाहिए और “जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।”

इसमें एक तरफ जहां वह खुद को शांति समर्थक दिखाने की कोशिश करते हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को उकसाने वाली भाषा का इस्तेमाल भी करते हैं।

2019 के बालाकोट जवाब की याद दिलाई

इमरान ने 2019 के बालाकोट हमले का संदर्भ देते हुए कहा कि “हमारे पास किसी भी दुस्साहस का जवाब देने की पूरी क्षमता है, जैसा मेरी सरकार ने किया था।” यह बयान पाकिस्तान के रणनीतिक संकल्प का प्रदर्शन करने की कोशिश है, लेकिन इसमें फिर से टकराव की चेतावनी छिपी है।

4. कश्मीर का मुद्दा और इमरान का रुख

इमरान खान ने अपने बयान में फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया और कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की बात की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा कि यह अधिकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

राजनीतिक लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच का सहारा?

विश्लेषकों का मानना है कि जेल में रहते हुए भी इमरान खान अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। इससे एक तरफ उन्हें देश के अंदर समर्थन मिलता है, दूसरी तरफ वैश्विक मंच पर वे खुद को एक 'शांतिवादी नेता' के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

5. भारत में प्रतिक्रिया और इमरान की विश्वसनीयता पर सवाल

इमरान खान ने पहलगाम हमले की निंदा तो की, लेकिन हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाले TRF जैसे संगठनों का नाम नहीं लिया, और न ही पाकिस्तान की भूमिका पर कोई चर्चा की। इससे उनकी शांति की बातों की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।

जेल में बंद नेता की राजनीति या रणनीति?

वर्तमान में भ्रष्टाचार मामलों में जेल में बंद इमरान खान की यह टिप्पणी कई विश्लेषकों को “राजनीतिक पैंतरेबाज़ी” नजर आती है। बयानबाजी से वे न केवल अपने राजनीतिक वजूद को जीवित रखना चाहते हैं, बल्कि पाकिस्तान की विदेश नीति में भी अप्रत्यक्ष भूमिका निभाने का प्रयास कर रहे हैं।


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