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कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन 88 वर्ष की आयु में हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और डबल निमोनिया से जूझ रहे थे। वेटिकन सिटी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए भावुक श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन से 1.4 अरब कैथोलिक अनुयायियों के बीच गहरा शोक छा गया है।

वेटिकन की आधिकारिक पुष्टि

एपी (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, पोप फ्रांसिस के निधन की घोषणा वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने की। वेटिकन सिटी की ओर से जारी बयान में कहा गया –“आज सुबह 7:35 बजे, रोम के बिशप, फ्रांसिस, फादर के घर लौट गए। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन चर्च और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया।”

बीमारी से जूझते हुए बीते अंतिम दिन

पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे डबल निमोनिया से पीड़ित थे और पिछले 38 दिनों से उपचाराधीन थे। स्वास्थ्य में सुधार न होने के कारण वे लगातार कमजोर होते जा रहे थे। डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी थी।

सार्वजनिक प्रार्थनाओं से दूरी

पोप फ्रांसिस की बिगड़ती तबीयत का असर उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी पड़ा। पिछले सप्ताह वे सेंट पीटर्स स्क्वायर में होने वाली रविवार की सामूहिक प्रार्थना में हिस्सा नहीं ले पाए थे।

इसके अलावा, ईस्टर की प्रार्थना सभा में भी वे शरीक नहीं हुए थे। उनकी जगह यह जिम्मेदारी कार्डिनल एंजेलो कोमोस्ट्री को सौंपी गई थी। हालांकि, प्रार्थना समाप्त होने के बाद पोप फ्रांसिस बेसिलिका की लॉलिया बालकनी में briefly दिखाई दिए थे, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने उन्हें देखकर उत्साह जताया था।

पोप फ्रांसिस: जीवन का सार

जन्म: 17 दिसंबर 1936 (अर्जेंटीना में जन्मे – मूल नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो)

पोंटिफिकेट की शुरुआत: 13 मार्च 2013 को कैथोलिक चर्च के 266वें पोप के रूप में चुने गए

वे पहले लैटिन अमेरिकन पोप थे और जेसुइट ऑर्डर से आने वाले पहले पोप भी

चर्च में सुधारों, पर्यावरण संरक्षण और गरीबों की आवाज़ बनने के लिए जाने गए


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