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The News 11 Live , Digital Desk:  22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो हुआ, वह सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था—यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता पर खुला हमला था। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। आतंकियों ने पहले उनकी धार्मिक पहचान पूछी, फिर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी।

इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान प्रायोजित संगठन TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने ली। हमले के बाद भारत में गुस्से की लहर दौड़ गई, और अब केंद्र सरकार चार मोर्चों—सैन्य, कूटनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक—पर जवाबी रणनीति बना रही है।

दिल्ली में आज दिनभर हुई चार अहम बैठकें इस बात का साफ संकेत हैं कि अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई होने वाली है। सरकार ने संकेत दे दिया है कि यह समय “नरम रुख” नहीं, बल्कि निर्णायक कदम उठाने का है।

1. 22 अप्रैल को हुआ था भीषण आतंकी हमला

हमला पहलगाम के बैसरन घाटी में हुआ। जहां एक तरफ पहाड़ों की खूबसूरती पर्यटकों को लुभा रही थी, वहीं दूसरी तरफ घात लगाकर बैठे आतंकियों ने उन्हें धर्म के आधार पर चुन-चुनकर मारा। 26 लोगों की जान गई, जिसमें महिलाओं और बच्चों की भी संख्या थी।

यह हमला इसलिए भी ज्यादा अमानवीय था क्योंकि इसमें आम नागरिकों को केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर मारा गया। ऐसी घटनाएं न सिर्फ मानवाधिकारों का हनन हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की परिभाषा को भी चुनौती देती हैं।

TRF संगठन की जिम्मेदारी और पाकिस्तान कनेक्शन

इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' नामक आतंकी संगठन ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। TRF पिछले कुछ वर्षों से घाटी में सक्रिय है और इसे पाकिस्तान की ISI से खुला समर्थन मिलता है।

इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह हमला सिर्फ एक संगठन द्वारा नहीं, बल्कि एक राज्य प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा है। यही कारण है कि भारत ने अब कूटनीति, सैन्य और आर्थिक तीनों स्तरों पर पाकिस्तानी रणनीति को जवाब देने का फैसला लिया है।

2. दिल्ली में 4 अहम बैठकें: भारत की रणनीति का ब्लूप्रिंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS की बैठक में रक्षा, विदेश, गृह और वित्त मंत्री शामिल हुए। बैठक का मकसद स्पष्ट था—सैन्य कार्रवाई की समीक्षा और संभावित ऑपरेशनों के लिए सेना को रणनीतिक स्वतंत्रता देना।

सूत्रों के अनुसार, सेना को लक्ष्य, समय और तरीका खुद तय करने की छूट दी गई है। यह संकेत है कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे विकल्पों को खुले मन से देख रहा है।

कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA): राजनीतिक प्रभावों की समीक्षा

CCPA की बैठक में भारत की किसी भी कार्रवाई के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभावों पर चर्चा की गई। इसमें न केवल पड़ोसी देशों की प्रतिक्रिया पर विचार हुआ, बल्कि घरेलू राजनीति और जनता की भावना को भी ध्यान में रखा गया।

बैठक में यह तय किया गया कि जो भी निर्णय होगा, वह राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति—दोनों को संतुलित रखते हुए लिया जाएगा।

कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA): आर्थिक प्रतिबंधों की योजना

इस बैठक में पाकिस्तान पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर बात हुई। भारत पहले ही पाकिस्तान को MFN (Most Favoured Nation) का दर्जा खत्म कर चुका है। अब और अधिक व्यापारिक बैन, फंड ट्रांसफर पर रोक और निवेश रोकने जैसे कदमों पर विचार किया गया।

CCEA की बैठक का उद्देश्य पाकिस्तान को आर्थिक रूप से पूरी तरह अलग-थलग करना है, ताकि वह आतंकी गतिविधियों को फंड न कर सके।

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक: अंतिम मुहर और समन्वय

अंत में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इन सभी प्रस्तावों को औपचारिक मंजूरी दी गई। यह बैठक सबसे अहम इसलिए थी क्योंकि इसमें सारे निर्णयों पर अंतिम मुहर लगाई गई और सभी मंत्रालयों को निर्देश दिए गए कि वे इस रणनीति को सटीक तरीके से लागू करें।

3. सरकार का सख्त रुख: पाकिस्तान को चार झटके

भारत ने 1960 की इंडस वॉटर ट्रीटी को निलंबित करने का ऐलान कर दिया। यह संधि पाकिस्तान के लिए जल जीवनरेखा जैसी रही है। इसे निलंबित करना पाकिस्तान पर एक बड़ा जल संकट ला सकता है।

अटारी-वाघा बॉर्डर सील और राजनयिक निष्कासन

भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर की जांच चौकी को बंद कर दिया है। साथ ही पाकिस्तान के सैन्य सलाहकारों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह कदम पाकिस्तान की राजनयिक गतिविधियों को सीमित करने के लिए उठाया गया है।

SAARC वीजा छूट रद्द और पाक नागरिकों को निकाला जाना

भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों को दी जा रही SAARC वीजा छूट योजना को रद्द कर दिया है। भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।

4. भारत की डिप्लोमैटिक तैयारी: वैश्विक समर्थन जुटाने की मुहिम

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को 9 देशों के विदेश मंत्रियों से बात की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को साझा किया। इनमें अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे अहम रणनीतिक साझेदार शामिल हैं।

आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान का हिस्सा

भारत इस समय वैश्विक मंच पर खुद को आतंक के खिलाफ निर्णायक नेतृत्व के रूप में पेश कर रहा है। यह भारत की डिप्लोमैटिक ताकत का संकेत है कि वह अकेले नहीं, बल्कि विश्व समुदाय के साथ मिलकर आतंकवाद को जवाब देगा।

5. सेना को मिली खुली छूट: “लक्ष्य, समय और तरीका वे तय करें”

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना भारत का राष्ट्रीय संकल्प है। उन्होंने सेना से कहा कि कार्रवाई का तरीका, स्थान और समय आप तय करें—सरकार पूरी तरह से आपके साथ है।

तीनों सेनाओं के प्रमुख और NSA की मौजूदगी

इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजित डोवल, CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे। यह बैठक न केवल सामरिक स्तर पर, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक निर्णायक क्षण था।


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