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हाल ही में, हमास के कमांडरों को पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय में देखा गया। वहां उनका स्वागत एक राजसी काफिले की तरह किया गया, जिसमें घोड़े भी शामिल थे और हमास का झंडा लहराया गया। यह घटना पाकिस्तान में हमास की उपस्थिति को दर्शाती है, जो फिलिस्तीन में सक्रिय इस्लामी चरमपंथी संगठन है। इस तरह के स्वागत से यह स्पष्ट होता है कि यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदारी का संकेत है।

पाकिस्तान का दोहरा रवैया

पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा रुख अपनाता आया है। एक ओर, वह वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात करता है, लेकिन दूसरी ओर, इस तरह के घटनाक्रम यह दर्शाते हैं कि पाकिस्तान की नीयत पर सवाल उठते हैं। यह दूसरा मौका है जब हमास से जुड़े लोग पाकिस्तान में आकर जैश और लश्कर के साथ मिलकर कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। इससे पहले, 5 फरवरी 2024 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में हमास का पॉलिटिकल चीफ कश्मीर दिवस के मौके पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के जलसे में शामिल हुआ था, जिसमें घोड़ों के साथ बाइक रैली भी निकाली गई थी, और हमास का झंडा भी दिखाया गया।

हमास, जैश और लश्कर का गठबंधन

इसका स्पष्ट संकेत है कि हमास, जैश-ए-मोहम्मद, और लश्कर-ए-तैयबा के बीच समन्वय बढ़ रहा है। यह तीनों संगठन मिलकर भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इन आतंकवादी संगठनों का गठबंधन न केवल भारत के लिए एक बड़ा खतरा है, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के नेटवर्क को भी और मजबूत करता है।


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