The News 11 Live , Digital Desk: जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले ने देशभर को झकझोर कर रख दिया। जहां एक ओर आम जनता गुस्से में है, वहीं सियासी गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो गया है। इसी बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बेहद सधी हुई और दो टूक भाषा में बयान देकर एक नई बहस को जन्म दिया है।
उन्होंने न केवल आतंकवाद की निंदा की, बल्कि पाकिस्तान को भी करारा जवाब दिया। इसके साथ ही, कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए गए "गायब" होने के आरोपों को भी खारिज करते हुए एक स्पष्ट रुख अपनाया। फारूक अब्दुल्ला का यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि वे खुद कश्मीर की राजनीति के दिग्गज हैं और जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील हालातों को नजदीक से समझते हैं।
1. पहलगाम हमले के बाद उठा सियासी तूफा
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जब निर्दोष नागरिकों को धर्म के आधार पर मार डाला गया, तो देशभर में एक गहरी बेचैनी फैल गई। यह घटना न केवल मानवता के खिलाफ थी, बल्कि इसने राजनीतिक दलों को भी अपने-अपने एजेंडे के तहत प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया। इस संवेदनशील माहौल में जहां कुछ नेता एकता की बात कर रहे थे, वहीं कुछ इसे सियासी मुद्दा बनाकर जनता के बीच भ्रम फैलाने में लगे थे।
इस हमले ने एक बार फिर इस बात की याद दिलाई कि जम्मू-कश्मीर आज भी आतंकवाद के खतरे से मुक्त नहीं हुआ है। साथ ही, यह भी स्पष्ट हो गया कि देश में जब कोई बड़ा संकट आता है, तो राजनीति कितनी जल्दी ध्रुवीकृत हो जाती है।
कांग्रेस ने क्यों उठाए पीएम मोदी पर सवाल?
कांग्रेस ने इस हमले के बाद सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर ले लिया। पार्टी का कहना था कि जब देश एक बड़े आतंकी हमले से जूझ रहा है, तब प्रधानमंत्री की उपस्थिति या प्रतिक्रिया क्यों नहीं दिख रही? हालांकि उन्होंने सीधे नाम नहीं लिया, लेकिन एक पोस्ट के जरिए अपने संदेश को बहुत ही व्यंग्यात्मक तरीके से पेश किया।
यह बयान और पोस्ट दोनों ही इस माहौल में आग में घी डालने जैसा साबित हुए। जहां जनता एकता और सुरक्षा की उम्मीद कर रही थी, वहां विपक्षी दलों के ऐसे बयान सरकार की नीतियों पर नहीं बल्कि पूरे तंत्र पर सवाल खड़े कर रहे थे।
2. कांग्रेस का ट्वीट विवाद: क्या थी मंशा?
कांग्रेस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर एडिट की गई थी। इस तस्वीर में उनका शरीर गायब था और सिर्फ कपड़े दिख रहे थे। कैप्शन में लिखा गया था, "जिम्मेदारी के समय - गायब"।
यह पोस्ट जैसे ही वायरल हुई, सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। लोगों ने इसे बेहद असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार करार दिया। कई नेताओं और आम नागरिकों ने कांग्रेस से यह सवाल पूछा कि क्या ऐसे संवेदनशील समय में ऐसे मजाकिया और व्यंग्यात्मक पोस्ट की जरूरत थी?
आलोचना के बाद क्यों हटाना पड़ा ट्वीट?
जनता और मीडिया की तीखी प्रतिक्रिया के बाद कांग्रेस को यह पोस्ट हटाना पड़ा। इससे यह साफ हो गया कि पार्टी को खुद भी इस पोस्ट की संवेदनशीलता का एहसास हो गया था।
कई वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे विपक्ष की रणनीतिक गलती करार दिया। उन्होंने कहा कि जब देश शोक में है, तब व्यंग्य और कटाक्ष करने की बजाय जिम्मेदारी दिखाना ज़रूरी है।
3. फारूक अब्दुल्ला का पीएम मोदी को समर्थन
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए साफ कहा कि प्रधानमंत्री कहीं 'गायब' नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि वह दिल्ली में हैं।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसी बातें करके लोगों में भ्रम फैलाना ठीक नहीं है।
यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि फारूक अब्दुल्ला एक विपक्षी नेता हैं और उन्होंने विपरीत राजनीतिक ध्रुव पर खड़े होने के बावजूद प्रधानमंत्री का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को जो भी कदम उठाने हैं, वे उन्हें उठाने चाहिए और राजनीतिक दलों को उनका समर्थन करना चाहिए।
संकट के समय एकजुटता की अपील
अब्दुल्ला ने न केवल मोदी के पक्ष में बोला, बल्कि पूरे देश से अपील की कि इस समय राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देश के सामने आतंकवाद जैसा संकट हो, तो राजनीति को किनारे रख देना चाहिए।
उनका कहना था कि ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को काम करने की पूरी छूट मिलनी चाहिए, ताकि वह हालात को बेहतर कर सके।
4. पाकिस्तान को फारूक अब्दुल्ला की दो टूक चेतावनी
पाकिस्तान अक्सर भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देता रहा है। इस बार फारूक अब्दुल्ला ने उस पर खुलकर जवाब दिया। उन्होंने कहा, "हमारे पास भी परमाणु शक्ति है और यह हमारे पास उनसे पहले थी।"
उन्होंने कहा कि भारत ने कभी किसी पर पहले हमला नहीं किया, लेकिन अगर पाकिस्तान ऐसा कोई कदम उठाता है, तो भारत के पास भी जवाब देने की पूरी क्षमता है। उनका यह बयान ना केवल पाकिस्तान को चेतावनी था, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत की रणनीतिक सोच कितनी परिपक्व और आत्मनिर्भर है।
"भारत ने कभी पहले हमला नहीं किया, लेकिन जवाब देने की क्षमता रखता है"
अब्दुल्ला का यह बयान उन सभी को स्पष्ट संदेश है जो भारत की शांतिपूर्ण नीतियों को उसकी कमजोरी समझते हैं। उन्होंने कहा, "भगवान ऐसी स्थिति कभी न आने दे, लेकिन अगर पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया, तो भारत भी पीछे नहीं रहेगा।"
यह बयान उस स्थिति के लिए एक कड़ा संकेत है कि भारत केवल प्रतिक्रिया देने में यकीन रखता है, लेकिन वह जवाब देने में भी सक्षम है और पीछे नहीं हटेगा।
5. आतंकवाद पर अब्दुल्ला का कड़ा रुख
अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के पुराने कारनामों को याद दिलाते हुए कहा कि मुंबई हमला, पठानकोट हमला, उरी हमला—ये सब पाकिस्तान प्रायोजित थे। उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, तब कारगिल युद्ध हुआ था। उन्होंने शुरू में इनकार किया, लेकिन जब हमने जवाब दिया, तो अमेरिका के पास मदद मांगने भागे।
यह बयान पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है—पहले आक्रमण और बाद में पीड़िता बनने की कोशिश।
“अगर पाकिस्तान दोस्ती चाहता है, तो आतंक रोकना होगा”
अब्दुल्ला ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान अगर वाकई भारत से दोस्ती चाहता है, तो उसे आतंकवाद का समर्थन बंद करना होगा। उन्होंने कहा, "दुश्मनी अगर चाहिए, तो हम तैयार हैं, लेकिन अगर दोस्ती चाहिए, तो ये चीजें बंद करनी होंगी।"
यह रुख भारत की मजबूती और पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है।
Brijendra
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