टमाटर को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, जिसमें रेतीली दोमट, चिकनी मिट्टी, लाल और काली मिट्टी शामिल हैं। मिट्टी का प्रकार टमाटर के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, लेकिन सभी प्रकार की मिट्टी में उचित जल निकासी की आवश्यकता होती है।
उत्तर भारत में टमाटर की खेती साल में दो बार की जाती है। पहली रोपाई जुलाई-अगस्त से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक चलती है। दूसरी खेती नवंबर-दिसंबर से जून-जुलाई तक चलती है.
टमाटर की खेती में किसानों को अधिक मुनाफा होता है. प्रति हेक्टेयर 800-1200 क्विंटल उत्पादन संभव है, जिससे लागत से अधिक मुनाफा मिलता है। एक हेक्टेयर खेती से 15 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.
सामान्य टमाटर के लिए प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम बीज तथा संकर टमाटर के लिए 250-300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
टमाटर की खेती में बीज से नर्सरी तैयार की जाती है. एक महीने के अंदर नर्सरी के पौधे खेतों में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं. मिट्टी की नमी के आधार पर सर्दियों में 6-7 दिन और गर्मियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर फसलों की सिंचाई करनी चाहिए।
फसल को स्वस्थ रखने और अच्छी पैदावार देने के लिए यह जरूरी है. टमाटर एक गर्म जलवायु वाली सब्जी है जो ठंडी जलवायु में उगाई जाती है। इसके सफल उत्पादन के लिए 21 से 23 डिग्री का तापमान अनुकूल माना जाता है.
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