The News 11 Live , Digital Desk: हर साल विशाखापत्तनम के सिम्हाचलम स्थित श्री वराहालक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर में होने वाला चंदनोत्सव श्रद्धा और आस्था का पर्व माना जाता है। लेकिन 2024 का चंदनोत्सव इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। बुधवार तड़के आई बारिश और तेज हवाओं ने इस उत्सव को मातम में बदल दिया जब एक दीवार गिरने से 8 लोगों की मौत हो गई और 3 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
यह घटना इसलिए भी चौंकाने वाली रही क्योंकि दीवार हाल ही में बनाई गई थी। हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए कतार में खड़े थे। चंदनोत्सव के दौरान, इस पवित्र पर्व के महत्व के चलते भीड़ अत्यधिक बढ़ जाती है, लेकिन ऐसे हादसे यह सवाल उठाते हैं कि क्या इस विशाल भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त और सुरक्षित व्यवस्था की गई थी?
इस लेख में हम न केवल इस हादसे के सभी पहलुओं की विस्तृत जानकारी देंगे, बल्कि यह भी समझेंगे कि क्या प्रशासन और मंदिर प्रबंधन इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार हैं।
1. क्या हुआ सिम्हाचलम मंदिर में?
बुधवार तड़के करीब 2:15 बजे की बात है। आंध्र प्रदेश के सिम्हाचलम पहाड़ी पर चंदनोत्सव के चलते हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। यह वह समय था जब भक्तों की भीड़ धीरे-धीरे मंदिर परिसर की ओर बढ़ रही थी। इसी दौरान अचानक मौसम बिगड़ गया। तेज हवाएं और झमाझम बारिश ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।
ऐसे में मंदिर परिसर में हाल ही में बनाई गई एक नई दीवार, जो 300 रुपये के टिकट धारकों के लिए कतार व्यवस्था हेतु खड़ी की गई थी, अचानक ढह गई। जैसे ही दीवार गिरी, लोगों में अफरा-तफरी मच गई। मलबे के नीचे दबे लोग चीखते रहे, कुछ मदद के लिए पुकारते रहे, और कुछ की तो मौके पर ही मौत हो गई।
दीवार गिरने की वजहें: मौसम या लापरवाही?
हालांकि शुरुआती जांच में बारिश और हवाओं को हादसे का कारण बताया गया, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि एक नई दीवार इतनी जल्दी कैसे ढह गई? क्या निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था? क्या दीवार का बेसमेंट सही ढंग से नहीं बना था? क्या इसे डिजाइन करते वक्त श्रद्धालुओं की भीड़ और मौसमी खतरों को ध्यान में रखा गया था?
गृह मंत्री वंगालापुडी अनिता ने खुद स्वीकार किया कि दीवार नई बनी थी और इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। यह बयान खुद इस ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक या निर्माण एजेंसियों की लापरवाही जरूर थी।
2. हादसे के पीड़ित: आठ जिंदगियों का दुखद अंत
इस हादसे में 8 लोगों की जान चली गई—इनमें 5 पुरुष और 3 महिलाएं थीं। मलबे के नीचे दबने से अधिकांश की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि एक व्यक्ति ने अस्पताल में दम तोड़ा। ये श्रद्धालु आंध्र प्रदेश के अलग-अलग जिलों से दर्शन करने आए थे और चंदनोत्सव के दौरान भगवान नरसिंह के निजरूप के दर्शन की उम्मीद लिए मंदिर परिसर पहुंचे थे।
इस हादसे ने श्रद्धालुओं के मन में भय पैदा कर दिया है। जो लोग हादसे से बाल-बाल बचे, उन्होंने बताया कि यह एक भयानक अनुभव था, जिसने उन्हें जीवनभर के लिए हिला कर रख दिया।
घायलों की हालत और अस्पताल में इलाज
तीन घायलों को तुरंत किंग जॉर्ज अस्पताल (KGH) ले जाया गया। उनमें से दो की हालत गंभीर थी, लेकिन समय पर इलाज शुरू होने से स्थिति स्थिर बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि सभी घायलों को हर संभव चिकित्सा सुविधा दी जा रही है और उन्हें अलग वार्ड में रखा गया है।
गृह मंत्री अनिता और विशाखापत्तनम के सांसद एम श्रीभारत ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों की स्थिति का जायजा लिया और भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार घायलों और मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद देगी।
3. NDRF और SDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन
जैसे ही हादसे की सूचना मिली, मौके पर NDRF और SDRF की टीमें रवाना की गईं। उन्होंने तेजी से बचाव कार्य शुरू किया। भारी बारिश और कीचड़ के बावजूद, उन्होंने मलबे के नीचे से 7 शव निकाले और घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला।
रेस्क्यू टीमों ने बताया कि दीवार के ढहने के बाद कुछ समय के लिए दृश्यता बेहद कम हो गई थी, जिससे ऑपरेशन में दिक्कत आई। बावजूद इसके, लगभग तीन घंटे के भीतर मलबे को हटाकर राहत कार्य को काफी हद तक पूरा कर लिया गया।
क्या मलबे में और लोग फंसे हैं?
हालांकि अब तक सभी शव और घायलों को बाहर निकाल लिया गया है, फिर भी एहतियात के तौर पर मलबे की दोबारा जांच की जा रही है। प्रशासन को डर है कि कहीं कोई और व्यक्ति मलबे में दबा न रह गया हो, क्योंकि हादसे के वक्त भीड़ काफी ज्यादा थी।
4. प्रशासनिक जिम्मेदारी और जवाबदेही
यह दीवार हाल ही में बनाई गई थी ताकि चंदनोत्सव के दौरान 300 रुपये के टिकट धारकों को अलग लाइन में रखा जा सके। लेकिन यह दीवार मात्र कुछ ही दिनों में गिर गई। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह दीवार सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी?
गृह मंत्री अनिता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या जांच निष्पक्ष होती है और क्या दोषियों को सच में सजा मिलती है।
गृह मंत्री और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री, जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त ने मौके पर पहुंचकर खुद राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीड़ितों के परिजनों को तत्काल सहायता मिले और घायलों को सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराया जाए।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि हादसे को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
5. चंदनोत्सव के आयोजन पर सवाल
इस साल मंदिर प्रशासन ने करीब 2 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई थी। इतनी बड़ी भीड़ के लिए जो व्यवस्थाएं की गई थीं, वे इस हादसे के बाद सवालों के घेरे में आ गई हैं।
श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइनों की व्यवस्था, टिकट सिस्टम और सुरक्षा इंतजाम—सब कुछ अब दोबारा मूल्यांकन के दायरे में है।
वैकल्पिक रूट और दर्शन की प्रक्रिया में बदलाव
हादसे के बाद मंदिर प्रशासन ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए 300 रुपये के टिकट वालों के लिए लाइन को दूसरे रास्ते पर डायवर्ट किया। दर्शन और अन्य अनुष्ठानों को बिना किसी विघ्न के जारी रखने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि हादसे की छाया श्रद्धालुओं के मन में बैठ गई है और अब वे भी प्रशासन से अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
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Brijendra
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