The News 11 , Digital Desk: भारतीय क्रिकेट के वर्तमान कप्तान रोहित शर्मा आज सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की प्रेरणा हैं। उनकी कहानी उन युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। जन्म 30 अप्रैल 1987 को नागपुर के बंसोड़ इलाके में हुआ, लेकिन उनका सफर किसी शाही क्रिकेट अकादमी से नहीं, बल्कि तंग गलियों और सीमित साधनों से शुरू हुआ था।
उनकी जिंदगी का हर पहलू—बचपन की कठिनाइयां, क्रिकेट के प्रति जुनून, शुरुआती असफलताएं और फिर चमकदार उपलब्धियां—यह सब कुछ उन्हें खास बनाता है। आइए रोहित शर्मा के 38वें जन्मदिन पर जानते हैं उनकी जिंदगी की वो कहानी, जिसने उन्हें एक साधारण लड़के से क्रिकेट का 'हिटमैन' बना दिया।
1. जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
रोहित का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक तेलुगु-मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता गुरुनाथ शर्मा एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के गोदाम में केयरटेकर की नौकरी करते थे, जिससे परिवार की आमदनी बेहद सीमित थी।
माता-पिता से दूर, चाचा-दादा की छाया में परवरिश
आर्थिक स्थिति इतनी तंग थी कि रोहित को अपने दादा और चाचा के साथ रहना पड़ा। उनके माता-पिता डोंबिवली के एक छोटे से कमरे में रहते थे, और रोहित सिर्फ हफ्ते में एक बार उनसे मिलने जाते थे। ये वही साल थे, जब एक बच्चे ने बड़े ख्वाब देखना शुरू किया।
2. बचपन के संघर्ष और क्रिकेट की शुरुआत
रोहित के चाचा ने ही उनके क्रिकेट करियर की नींव रखी। 1999 में, उन्होंने रोहित का नाम पास के क्रिकेट कैंप में लिखा और आर्थिक मदद भी की। यही वो मोड़ था, जहां से एक नए सितारे की उड़ान शुरू हुई।
छात्रवृत्ति और स्वामी विवेकानंद स्कूल का मौका
क्रिकेट कोच दिनेश लाड ने रोहित की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन लेने की सलाह दी। रोहित ने साफ कहा था, “मैं ये खर्च नहीं उठा सकता।” लेकिन लाड सर ने उन्हें स्कॉलरशिप दिलाई, जिससे रोहित को 4 साल तक एक भी पैसा नहीं देना पड़ा और उन्होंने पूरी मेहनत से अपने खेल को निखारा।
3. ऑफ-स्पिनर से ओपनर बनने तक का सफर
शुरुआत में रोहित एक ऑफ-स्पिन गेंदबाज थे, जो थोड़ा-बहुत बल्लेबाजी भी कर लेते थे। लेकिन कोच लाड ने उनकी बल्लेबाजी की संभावनाओं को पहचाना और उन्हें नीचे से उठाकर ओपनिंग में भेज दिया। यह निर्णय उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
स्कूल टूर्नामेंट में पहला शतक और आत्मविश्वास की उड़ान
हैरिस और जाइल्स शील्ड जैसे प्रतिष्ठित स्कूल टूर्नामेंट्स में रोहित ने शानदार प्रदर्शन किया और डेब्यू मैच में ही शतक जड़ दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
4. डोमेस्टिक क्रिकेट में धमाकेदार प्रदर्शन
मार्च 2005 में रोहित ने देवधर ट्रॉफी से अपने लिस्ट ए करियर की शुरुआत की। आठवें नंबर पर खेलते हुए नाबाद 31 रन बनाए। 2006 में उन्होंने भारत ए की ओर से न्यूज़ीलैंड ए के खिलाफ फर्स्ट क्लास डेब्यू किया।
मुंबई की ओर से दोहरा शतक और लगातार सफलता
2006-07 में मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी खेलते हुए उन्होंने गुजरात के खिलाफ 205 रन ठोके और सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके बाद वे भारत की डोमेस्टिक क्रिकेट की रीढ़ बन गए।
उनके रिकॉर्ड:
फर्स्ट क्लास: 129 मैच, 9318 रन
लिस्ट ए: 344 मैच, 13410 रन
T20: 457 मैच, 12070 रन
5. अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत और चमक
2007 में रोहित ने आयरलैंड के खिलाफ वनडे डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने उसी साल इंग्लैंड के खिलाफ टी20 में और 2013 में टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा।
तीनों फॉर्मेट में महारथ और रिकॉर्ड्स की भरमार
रोहित शर्मा आज दुनिया के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं जिन्होंने तीनों फॉर्मेट में खुद को साबित किया है:
टेस्ट: 67 मैच, 4301 रन
वनडे: 273 मैच, 11168 रन
T20I: 159 मैच, 4231 रन
कुल अंतरराष्ट्रीय शतक: 49
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Brijendra
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