The News 11 , Digital Desk: कोविड-19 जैसी महामारियों के दौर में तेज़ और प्रभावशाली इम्यूनिटी विकसित करना बेहद जरूरी होता है। अब एक नई रिसर्च में एक बेहद दिलचस्प बात सामने आई है—अगर आप वैक्सीन की पहली और बूस्टर डोज एक ही बाजू में लगवाते हैं, तो शरीर पहले और ज्यादा मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) बनाता है।
यह रिसर्च ऑस्ट्रेलिया की गार्वन इंस्टीट्यूट और किर्बी इंस्टीट्यूट (University of New South Wales) ने मिलकर की है और इसे प्रसिद्ध 'सेल' जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
1. रिसर्च कहां और कैसे हुई?
रिसर्चर्स ने शुरुआत में चूहों पर वैक्सीन का असर जांचा और पाया कि एक ही बाजू में दी गई दोनों खुराकों से इम्यून सिस्टम ज्यादा तेजी से एक्टिवेट होता है। इसके बाद उन्होंने 30 वयस्कों पर रिसर्च की, जिन्हें फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन दी गई थी।
स्टडी चूहों और फिर 30 वयस्कों पर की गई
इंसानों पर की गई स्टडी में भी वही नतीजे मिले—जिन लोगों ने दोनों डोज एक ही बाजू में लगवाई, उनमें एंटीबॉडीज तेज़ी से बनीं और पहले सुरक्षा मिली, खासकर डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे खतरनाक वैरिएंट्स के खिलाफ।
2. एक ही बाजू में वैक्सीन क्यों है ज्यादा असरदार?
हमारे शरीर में लिम्फ नोड्स (lymph nodes) वायरस और वैक्सीन के प्रति सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हैं। जब दोनों डोज एक ही बाजू में दी जाती हैं, तो पास के लिम्फ नोड्स पहले से सतर्क रहते हैं।
पहले से तैयार सेल्स तेजी से सक्रिय होती हैं
दूसरी डोज मिलने पर वही लिम्फ नोड्स की सेल्स तेजी से एक्टिवेट हो जाती हैं और अधिक मात्रा में एंटीबॉडीज बनाती हैं। इससे शरीर जल्दी सुरक्षा कवच तैयार कर लेता है।
3. कोविड वैरिएंट्स के खिलाफ दिखी बेहतर सुरक्षा
जिन प्रतिभागियों ने दोनों वैक्सीन डोज एक ही बाजू में ली, उनमें विशेषकर डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ बेहतर और तेज़ इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया।
एंटीबॉडी का स्तर तेजी से हुआ मजबूत
हालांकि चार हफ्ते बाद दोनों समूहों में एंटीबॉडी का स्तर लगभग समान हो गया, लेकिन शुरुआती दिनों में एक ही बाजू में डोज लेने वालों को पहले सुरक्षा मिली—जो महामारी के दौरान जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
4. अलग-अलग बाजू में डोज ली है तो चिंता न करें
स्टडी के लेखक ट्राई फैन और मी लिंग मुनियर ने साफ किया कि अगर आपने अलग-अलग बाजू में वैक्सीन ली है, तो भी चिंता की कोई बात नहीं है। समय के साथ सुरक्षा बराबर हो जाती है।
शुरुआती सुरक्षा महामारी के समय में बेहद जरूरी
लेकिन महामारी जैसे हालात में कुछ दिन की भी बढ़त बहुत मायने रखती है। अगर पहले ही दिन से सुरक्षा तेज़ हो, तो संक्रमण से बचाव अधिक प्रभावी होता है।
5. क्या कहती है एक्सपर्ट्स की टीम?
गार्वन इंस्टीट्यूट के ट्राई फैन, जो इस प्रोजेक्ट के प्रिसिजन इम्यूनोलॉजी प्रोग्राम के डायरेक्टर हैं, कहते हैं कि यह रिसर्च हमें हमारी इम्यूनिटी को बेहतर समझने में मदद करती है।
वहीं सह-लेखिका मी लिंग मुनियर का कहना है कि “भविष्य में वैक्सीन रणनीति को इस तरह प्लान किया जा सकता है कि बेहतर और तेज़ इम्यून रिस्पॉन्स मिले—शायद बूस्टर डोज की जरूरत भी कम हो जाए।”
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Brijendra
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