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रतन टाटा देश के एक सफल व्यवसायी और कुशल उद्यमी थे। इससे भी अधिक वह एक नेक इंसान थे जो भारत को मजबूत देखना चाहते थे। रतन टाटा सादगी और शालीनता की मिसाल थे। रतन टाटा का बुधवार 9 अक्टूबर 2024 को रात करीब 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। रतन टाटा के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है.

रतन टाटा ने कई इंटरव्यू में अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातें शेयर कीं। फिर भी उनके जाने के बाद ऐसा लगता है कि उनके भीतर कुछ दमित था, जो रह गया.

रतन टाटा की कुंडली ( Ratan Tata kundli)

जानकारी के मुताबिक, रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सुबह 06:30 बजे मुंबई में हुआ था। इस प्रकार उनकी जन्म कुंडली धनु लग्न और तुला राशि की है। लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र अत्यंत शुभ स्थिति में बैठे हैं। जब बृहस्पति धन राशि में और मंगल तीसरे भाव में हो। चौथे घर में शनि, एकादश में चंद्रमा और बारहवें और छठे घर में राहु केतु की स्थिति एक अच्छा समीकरण बनाती है।

रतन टाटा के जीवन में इन ग्रहों की थी महादशा

  • रतन टाटा का जन्म बृहस्पति की महादशा में हुआ है
  • 19 वर्ष पर शनि की महादशा
  • 17 वर्ष पर बुध की महादशा
  • केतु की महादशा 7 वर्ष की
  • शुक्र की महादशा 20 वर्ष की
  • 6 वर्ष सूर्य की महादशा
  • रतन टाटा की कुंडली में फिलहाल 15 अप्रैल 2025 तक चंद्रमा की महादशा चल रही है।

रतन टाटा की विवाह कुंडली में बुधादित्य योग

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के मुताबिक, रतन टाटा की कुंडली में बुधादित्य योग है। ज्योतिष शास्त्र में इसे पारस पत्थर जैसे योग का नाम दिया गया है। इस योग का स्वामी यदि मिट्टी को भी छू दे तो वह सोना बन जाती है। यानी जो काम करते हैं उसमें उन्हें दोगुनी सफलता मिलती है।

प्यार होने के बाद भी शादी क्यों नहीं हुई ?

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार रतन टाटा की कुंडली में दांपत्य जीवन के स्वामी बुध पर शनि की टेढ़ी दृष्टि होने के कारण विवाह योग नहीं बना। साथ ही सूर्य की दृष्टि कुंडली के सातवें घर पर भी रही। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की ऐसी स्थिति को वियोग या अलगाव माना जाता है।

ग्रहों की ऐसी स्थिति में भी विवाह होने पर किसी कारणवश विवाह टूट जाएगा या तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। नवमांश कुंडली के सातवें घर पर शनि की दृष्टि और उसी घर में शुक्र पर मंगल की दृष्टि के कारण रतन टाटा की शादी नहीं हुई।

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