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कई बार महिलाएं 45 साल की उम्र से पहले ही मेनोपॉज का अनुभव करने लगती हैं, जिसे "समय से पहले मेनोपॉज" कहा जाता है। यह हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है और रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हार्मोनल परिवर्तन और उनके प्रभाव

महिला शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दो महत्वपूर्ण हार्मोन होते हैं। मेनोपॉज शुरू होते ही इन हार्मोनों का स्तर तेजी से घटने लगता है, जिससे कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। एस्ट्रोजन न केवल प्रजनन स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है बल्कि इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है।

अगर मेनोपॉज समय से पहले होता है, तो हार्मोन का असंतुलन जल्दी आ जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। शोध बताते हैं कि एस्ट्रोजन की कमी के कारण सेलुलर सिस्टम में बदलाव होते हैं, जिससे हल्के सेरोनिगेटिव रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) विकसित होने की संभावना रहती है।

विशेषज्ञ की राय

मुंबई के सैफी अस्पताल में कंसल्टेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि शर्मा चौहान के अनुसार, "समय से पहले मेनोपॉज आने पर महिलाओं में रूमेटाइड अर्थराइटिस का जोखिम अधिक होता है। शोध में पाया गया है कि समय से पहले मेनोपॉज और सेरोनिगेटिव RA के बीच गहरा संबंध है।"

उन्होंने यह भी बताया कि मेनोपॉज के कुछ लक्षण, जैसे कि जोड़ों में दर्द, शरीर में थकान और मांसपेशियों में कमजोरी, रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इस कारण कई बार सही समय पर बीमारी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) से मिल सकता है लाभ?

समय से पहले मेनोपॉज के कारण होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT), जिसे अब मेनोपॉज हार्मोन थेरेपी (MHT) कहा जाता है, एक प्रभावी उपचार हो सकता है।

शोध बताते हैं कि 40 वर्ष से पहले डिम्बग्रंथि विफलता (Premature Ovarian Failure) या 45 वर्ष से पहले मेनोपॉज का अनुभव करने वाली महिलाओं को औसत मेनोपॉज उम्र (51-52 वर्ष) तक HRT लेने से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।

हालांकि, किसी भी हार्मोनल थेरेपी को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श और नियमित चिकित्सा परीक्षण आवश्यक हैं।

वैज्ञानिक प्रमाण और निष्कर्ष

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (जनवरी 2024) में प्रकाशित ब्रिटिश मेनोपॉज सोसायटी के एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया कि 45 वर्ष से कम उम्र में मेनोपॉज का अनुभव करने वाली महिलाओं में रूमेटाइड अर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है।

यह अध्ययन दर्शाता है कि समय से पहले मेनोपॉज केवल प्रजनन स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह संपूर्ण शरीर की इम्यून प्रणाली और हड्डियों के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।

क्या किया जाना चाहिए?

  • नियमित स्वास्थ्य जांच: अगर मेनोपॉज के शुरुआती लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • संतुलित आहार और व्यायाम: कैल्शियम, विटामिन डी और एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट को अपनाना फायदेमंद हो सकता है।
  • समय पर इलाज: यदि ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा अधिक हो, तो विशेषज्ञ की सलाह पर HRT या अन्य उपचार अपनाएं।


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