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हर बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली एक जैसी नहीं होती। कुछ बच्चों की इम्यूनिटी जन्म से ही कमजोर होती है, जिससे वे आसानी से बीमार पड़ सकते हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सिजेरियन डिलीवरी (C-Section) से जन्म लेने वाले बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य प्रसव से जन्मे शिशुओं की तुलना में कमजोर होती है।

शोध में पाया गया कि सी-सेक्शन से जन्मे शिशुओं के पेट में मौजूद बैक्टीरिया कमजोर होते हैं, क्योंकि उन्हें वह माइक्रोबायोम नहीं मिलता जो योनि से जन्म लेने वाले बच्चों को मिलता है। यह अंतर बच्चे की इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है और आगे चलकर अस्थमा, एलर्जी, मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।

माइक्रोबायोम का महत्व: जन्म के दौरान मिलने वाले फायदेमंद बैक्टीरिया

माइक्रोबायोम का मतलब हमारे शरीर में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया से है, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।

  • योनि से जन्म लेने वाले बच्चे जन्म के दौरान अपनी मां के माइक्रोबायोम के संपर्क में आते हैं।
  • यह बैक्टीरिया बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत करने में मदद करता है।
  • यह शरीर को संक्रमण से बचाने और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।

सी-सेक्शन से जन्मे बच्चों में रोगों का अधिक खतरा

शोध के अनुसार, सिजेरियन डिलीवरी के कारण बच्चों में निम्नलिखित बीमारियों का खतरा अधिक रहता है:

अस्थमा और एलर्जी:

  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण ये बच्चे अस्थमा और विभिन्न प्रकार की एलर्जी से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।

टाइप 1 मधुमेह:

  • सी-सेक्शन से जन्मे शिशुओं में मधुमेह विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

सीलिएक रोग (ग्लूटेन एलर्जी):

  • यह एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों को पचा नहीं पाता।

मां के स्वास्थ्य पर सिजेरियन डिलीवरी का प्रभाव

1. सामान्य स्थिति में आने में अधिक समय लगता है

  • सिजेरियन डिलीवरी में ऑपरेशन के बाद शरीर को सामान्य होने में ज्यादा समय लगता है।
  • मां को तीन से चार महीने तक पूरी तरह ठीक होने में लग सकते हैं।
  • टांकों का दर्द और शारीरिक कमजोरी लंबे समय तक बनी रह सकती है।

2. संक्रमण का खतरा

  • सी-सेक्शन के बाद एंडोमेट्रियोसिस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • इसमें गर्भाशय की कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं।
  • यह संक्रमण गर्भाशय को नुकसान पहुंचा सकता है।

3. एनीमिया (रक्त की कमी) का खतरा

  • सिजेरियन के दौरान मां के शरीर से अधिक रक्तस्राव होता है।
  • अधिक रक्त की हानि से शरीर कमजोर हो सकता है और एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है।

4. प्लेसेंटा एक्रीटा का खतरा

  • एक से अधिक सी-सेक्शन के बाद गर्भनाल (प्लेसेंटा) का स्थान बदल सकता है।
  • यह गर्भाशय या मूत्राशय में चिपक सकता है, जिससे मां और बच्चे दोनों को जोखिम हो सकता है।

5. पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं

  • सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां को कब्ज और गैस की समस्या हो सकती है।
  • ऑपरेशन के टांकों की वजह से लेटने-उठने में कठिनाई होती है।
  • लंबे समय तक पेट में टांकों का तनाव शारीरिक असहजता बढ़ा सकता है।

क्या सी-सेक्शन से होने वाले प्रभावों को कम किया जा सकता है?

हालांकि सी-सेक्शन कई बार मेडिकल जरूरत के कारण जरूरी हो सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

1. नवजात की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए

  • स्तनपान (Breastfeeding): मां के दूध में प्राकृतिक रूप से लाभदायक बैक्टीरिया और एंटीबॉडी होते हैं, जो शिशु की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं।
  • प्रोबायोटिक्स (Probiotics): डॉक्टर की सलाह पर प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स (जैसे दही, छाछ) शिशु के आहार में शामिल किया जा सकता है।

2. मां के स्वास्थ्य के लिए

  • स्वस्थ आहार: सिजेरियन के बाद आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन युक्त आहार लेना जरूरी है।
  • संक्रमण से बचाव: टांकों की ठीक से देखभाल करें और डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें।
  • व्यायाम और फिजिकल एक्टिविटी: डॉक्टर की अनुमति के बाद हल्की कसरत से मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है।


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