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HMPV Virus in India:  एचएमपीवी वायरस को लेकर पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है. इस बीच भारत में कुछ मामले सामने आने के बाद लोगों के बीच इसकी खूब चर्चा हो रही है. इससे पहले 2020 से 2023 तक कोरोना वायरस के कारण देश-दुनिया को काफी शारीरिक और आर्थिक नुकसान हुआ था। काशी के एक प्रसिद्ध ज्योतिषी ने एबीपी लाइव को ज्योतिषीय गणना के आधार पर एचएमपीवी के प्रभाव के बारे में कुछ खास बातें बताई हैं।

कलयुगत संवत्सर में जन चिंता के संकेत हैं।

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि कालायुक्त संवत्सर अप्रैल 2024 से 14 अप्रैल 2025 तक चलेगा। यह सिद्धार्थ संवत्सर पिंगल से पहले है और 15 अप्रैल 2025 से शुरू होगा, जिसे सबसे फलदायी वर्ष कहा जाता है। लेकिन कालायुक्त संवत्सर के संबंध में शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है कि इस संवत्सर के दौरान देश की जनता को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। ऐसे में स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ है और विद्वानों ने भारत की कुंडली मकर मानी है। वृषभ राशि की कुंडली के अनुसार स्वतंत्र भारत में शुक्र चंद्रमा की महादशा में चल रहा है। तीसरे घर में चंद्रमा और शुक्र दोनों बैठे हैं। भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक भी माना गया है।

एचएमपीवी से कब तक मिलेगी राहत ?

पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, प्राचीन आचार्यों के अनुसार, भारत की मकर कुंडली स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि मकर राशि वक्री है और सातवें घर में बैठी है, जो दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र के लोगों के लिए बीमारियों को बढ़ा सकती है। राशि और ग्रहों की स्थिति के अनुसार 15 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाला नया सिद्धार्थ संवत्सर कई फल लेकर आएगा और इस दौरान लोगों को ऐसे दुर्भाग्य और बीमारियों से छुटकारा भी मिल सकता है।

2025 में शनि और देव गुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन कर रहे हैं

पंचांग के अनुसार मार्च 2025 से मई 2025 के बीच का समय कुछ परेशानियां लेकर आ सकता है। इस दौरान शनि और बृहस्पति का राशि परिवर्तन भी होता है। साल 2025 में ग्रहों की चाल को देखते हुए कुछ संकेत मिल रहे हैं कि नया साल काफी उथल-पुथल भरा साबित हो सकता है। 2025 में शनि कुम्भ से मीन राशि में प्रवेश करेगा। वहीं 29 मार्च 2025 को शनि अपनी राशि बदल रहे हैं। 14 मई 2025 को बृहस्पति वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

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