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भुज: बोरवेल में बच्चों के गिरने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. हालांकि, भुज के कंधेराई गांव में एक 18 वर्षीय लड़की दुर्घटनावश 500 फीट गहरे बोरवेल में डूब गई और स्थानीय लोगों सहित बचाव दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान चलाया है। घटना की सूचना मिलते ही दमकल की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई. बताया जा रहा है कि बच्ची पिछले 12 घंटे से बोरवेल में फंसी हुई है और करीब 12 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी है. भुज अग्निशमन विभाग ने भचाऊ अग्निशमन विभाग की टीम की भी मदद ली है.

वहीं, ऐसी ही एक घटना राजस्थान के बाड़मेर में भी हुई. जिसमें निर्दोष लोगों की जान चली गई. राजस्थान के कोटपूतली जिले के कीरतपुरा गांव में तीन साल की मासूम चेतना बोरवेल में गिर गई. परिजनों को सूचना मिलते ही सरूंड थाना प्रभारी मोहम्मद इमरान और डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची. रेस्क्यू के लिए बोरवेल के पास जेसीबी मशीन से खुदाई शुरू कर दी गई है. कोटपूतली एसडीएम ब्रिजेश चौधरी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि बोरवेल के अंदर से बच्ची के रोने की आवाज आई थी. मासूम बच्ची बोरवेल में करीब 150 फीट नीचे फंसी हुई है. हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी मशक्कत के बाद भी लड़की की जान नहीं बचाई जा सकी.

10 दिसंबर: दौसा में 56 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी आर्यन को नहीं बचाया जा सका

56 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में एक बोरवेल से आर्यन को बाहर निकाला गया, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया. 10 दिसंबर को खेलते समय आर्यन बोरवेल में गिर गया था। स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की. बोरवेल में पानी होने और सीसीटीवी खराब होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी दिक्कतें आईं. पाइलिंग मशीनों का उपयोग करके खुदाई में भी देरी हुई। आखिरकार एनडीआरएफ ने कांटा लगाकर आर्यन को बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इसके बाद दौसा जिला अस्पताल में आर्यन को मृत घोषित कर दिया गया.

20 नवंबर: गुड़ामालानी में 4 साल के मासूम की मौत

ऐसा ही एक हादसा 20 नवंबर को बाड़मेर जिले के गुडामलानी में हुआ. चार साल का मासूम खेलते-खेलते बोरवेल में गिर गया. यह बोरवेल करीब 150 फीट गहरा था. चार साल का मासूम बच्चा करीब 100 फीट की गहराई में फंसा हुआ था. इस बोरवेल के तल में पानी भरा हुआ था, बच्चा शाम चार बजे गिर गया. सूचना मिलते ही प्रशासन के अधिकारी, बचाव दल और सिविल डिफेंस के जवान मौके पर पहुंचे लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी बच्ची को बचाया नहीं जा सका.

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