FIR against Madhabi Puri Buch : मुंबई की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व चेयरमैन माधबी पुरी बुच और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। यह मामला एक कंपनी की कथित धोखाधड़ीपूर्ण लिस्टिंग से जुड़ा हुआ है, जिसमें निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
अदालत ने वर्ली स्थित एसीबी इकाई को भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सेबी अधिनियम और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
क्या हैं आरोप?
शिकायतकर्ता के अनुसार, सेबी अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही बरती, जिससे बाजार में हेरफेर और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला। एक अयोग्य कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया, जिससे निवेशकों को गंभीर वित्तीय नुकसान हुआ।
मुख्य आरोपों में शामिल हैं:
बाज़ार नियमन में कोताही और अनियमितताओं को बढ़ावा देना। एक ऐसी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करना जो इसके लिए योग्य नहीं थी। निवेशकों के हितों की अनदेखी कर बाजार को प्रभावित करना।
किन अधिकारियों पर लगे आरोप?
अदालत ने जिन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें शामिल हैं:
- माधबी पुरी बुच – सेबी की पूर्व अध्यक्ष
- अश्विनी भाटिया – सेबी के पूर्णकालिक सदस्य
- अनंत नारायण जी – सेबी के पूर्णकालिक सदस्य
- कमलेश चंद्र वार्ष्णेय – वरिष्ठ सेबी अधिकारी
- प्रमोद अग्रवाल – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के अध्यक्ष
- सुंदररामन राममूर्ति – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सीईओ
अदालत ने एसीबी को 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
माधबी पुरी बुच पहले भी विवादों में रही हैं
यह पहला मौका नहीं है जब माधबी पुरी बुच विवादों में घिरी हैं। अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में उन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
रिपोर्ट के अनुसार, माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडानी समूह से जुड़ी विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी थी। इस संबंध में कई अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था, जिससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठे।
सेबी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
सितंबर 2024 में, 1,000 से अधिक सेबी कर्मचारियों ने मुंबई मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की। कर्मचारियों का आरोप था कि सेबी के कार्यस्थल का माहौल विषाक्त (Toxic Work Environment) हो गया था। गौरतलब है कि माधबी पुरी बुच ने 28 फरवरी 2022 को सेबी अध्यक्ष का पदभार संभाला था। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला और निजी क्षेत्र से आने वाली पहली पेशेवर थीं।
आगे क्या होगा?
अब सभी की निगाहें एसीबी की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।
संभावित परिणाम:
- अगर आरोप साबित होते हैं, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- अगर आरोप गलत साबित होते हैं, तो यह मामला खत्म हो सकता है और अधिकारियों को क्लीन चिट मिल सकती है।
- बाजार नियामक सेबी की छवि पर प्रभाव: इस तरह के मामलों से निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है और सेबी को जवाबदेही तय करनी होगी।
Read More: रोहित शर्मा का जीवन परिचय: संघर्ष, समर्पण और सफलता की अद्भुत कहानी
Brijendra
Share



