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Gautam Adani : भारत के बड़े उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप अब स्पेस सेक्टर में कदम रखने जा रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप भारत के सबसे छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के प्रोडक्शन की रेस में शामिल तीन फाइनलिस्टों में से एक है। इस प्रतिस्पर्धा में अडानी ग्रुप के साथ दो सरकारी कंपनियां भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भी हैं।

अगर यह कॉन्ट्रैक्ट अडानी ग्रुप को मिल जाता है, तो अडानी डिफेंस सिस्टम के नेतृत्व में अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी SSLV के निर्माण का कार्य करेगी। इससे भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों की भागीदारी और मजबूत होगी, जिससे कमर्शियल स्पेस इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा।

क्या है ISRO का SSLV प्रोजेक्ट?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) नाम का एक छोटा और किफायती रॉकेट विकसित किया है। इस रॉकेट का उद्देश्य 500 किलो तक के छोटे सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low-Earth Orbit) में भेजना है।

SSLV की खासियतें:

  • पारंपरिक लॉन्च व्हीकल्स की तुलना में कम लागत में तैयार किया जाता है।
  • इसे कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • छोटे उपग्रहों को तेजी से लॉन्च करने में सक्षम है, जिससे समय और खर्च की बचत होगी।

SpaceX को टक्कर देने की तैयारी

भारत सरकार ने 2023 में SSLV के पहले सफल लॉन्च के बाद इसके प्रोडक्शन को निजी कंपनियों को सौंपने का निर्णय लिया। इसका मकसद देश के कमर्शियल स्पेस सेक्टर को और विकसित करना और वैश्विक सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है, जहां फिलहाल एलन मस्क की कंपनी SpaceX का दबदबा है।

इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 20 कंपनियों ने बोली लगाई थी, लेकिन सबसे आगे रहने वाली कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा। जीतने वाली कंपनी को:

  • ISRO को लगभग 3 बिलियन रुपये का भुगतान करना होगा, जिससे वह SSLV की डिज़ाइन और क्वालिटी कंट्रोल से जुड़ी ट्रेनिंग हासिल कर सके।
  • यह डील 24 महीने की होगी, जिसमें ISRO का तकनीकी सपोर्ट और दो सफल लॉन्च शामिल होंगे।

अडानी ग्रुप के स्पेस सेक्टर में आने से क्या होगा फायदा?

अगर अडानी ग्रुप को यह कॉन्ट्रैक्ट मिलता है, तो इससे कई फायदे होंगे:

  1. भारत के स्पेस सेक्टर में प्राइवेट इंडस्ट्री की भूमिका बढ़ेगी।
  2. नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे, खासकर एयरोस्पेस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में।
  3. भारतीय स्पेस इंडस्ट्री की ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में भागीदारी बढ़ेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।