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The News 11 Live , Digital Desk:  30 अप्रैल 2020, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक काली तारीख के रूप में दर्ज है। इस दिन बॉलीवुड ने एक ऐसा सितारा खो दिया जिसने दशकों तक न सिर्फ पर्दे पर प्यार को परिभाषित किया, बल्कि दर्शकों के दिलों में अपने चुलबुले अंदाज़, चार्मिंग स्माइल और जबरदस्त अभिनय से एक खास जगह बनाई। आज उनकी पांचवीं पुण्यतिथि है और यह दिन उनके फैंस, परिवार और इंडस्ट्री के लिए भावुक कर देने वाला है।

ऋषि कपूर का नाम सुनते ही दिमाग में ‘बॉबी’ का मासूम चेहरा, ‘चांदनी’ का मोहब्बत से भरा नायक और ‘अमर अकबर एंथनी’ का बिंदास किरदार ताज़ा हो जाता है। अपने 50 साल के शानदार करियर में उन्होंने 121 से अधिक फिल्मों में काम किया, और हर किरदार में जान फूंक दी। चाहे वो युवा प्रेमी हो या बूढ़ा दादाजी, या फिर खलनायक—उन्होंने हर रोल को जीवंत किया।

आज जब हम उन्हें याद करते हैं, तो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक युग को याद करते हैं जो रोमांस, अभिनय और सिनेमा के प्रति समर्पण का प्रतीक था।

1. 30 अप्रैल 2020: जब बॉलीवुड ने एक सितारा खो दिया

ऋषि कपूर ने जिंदगी के अंतिम वर्षों में कैंसर जैसी घातक बीमारी से जंग लड़ी। 2018 में जब उन्हें ब्लड कैंसर का पता चला, तब वे इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए। लगभग एक साल वहां इलाज कराने के बाद वे वापस भारत लौटे। उस दौरान उनके कई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जहां वो पहले से काफी कमजोर दिख रहे थे।

लेकिन, वापस आने के बाद भी उन्होंने काम से दूरी नहीं बनाई। फिल्मों की प्लानिंग करते रहे, सेट पर लौटने की उम्मीद बनाए रखी। यही जज़्बा उन्हें खास बनाता है।

न्यूयॉर्क से वापसी और भावुक विदाई

2020 की शुरुआत में जब वह भारत लौटे, तब उनके फैंस को उम्मीद थी कि वह फिर से बड़े पर्दे पर चमकेंगे। लेकिन कोरोना महामारी के बीच 30 अप्रैल को उन्होंने अंतिम सांस ली। लॉकडाउन के चलते उनके अंतिम संस्कार में सीमित लोग ही शामिल हो सके। यह ठीक वैसा ही था जैसा उन्होंने कुछ साल पहले कहा था—"जब मेरी मौत होगी, शायद कोई नहीं आ पाएगा।"

उनकी वो भविष्यवाणी हकीकत में बदल गई और यह सिनेमा प्रेमियों के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ।

2. ऋषि कपूर का फिल्मी सफर: एक बाल कलाकार से सुपरस्टार तक

बहुत कम लोग जानते हैं कि ऋषि कपूर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) से की थी। इस फिल्म में उन्होंने राज कपूर (अपने पिता) के बचपन का किरदार निभाया था और इस भूमिका के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

लेकिन उनके करियर का असली आगाज़ हुआ 1973 में फिल्म ‘बॉबी’ से। इस फिल्म में उनके साथ डिंपल कपाड़िया थीं और दोनों की केमिस्ट्री ने पर्दे पर धूम मचा दी।

‘बॉबी’ से मिला पहला सुपरहिट टैग और अवॉर्ड्स

‘बॉबी’ ने ऋषि कपूर को रातों-रात स्टार बना दिया। उन्हें इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड भी मिला और इंडस्ट्री को एक नया रोमांटिक हीरो। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

1970s और 1980s के दशक में ऋषि कपूर हर रोमांटिक फिल्म की जान बन गए। उनकी मुस्कान, स्टाइल और स्क्रीन प्रेजेंस ने उन्हें लड़कियों का दिलचस्पी बना दिया।

3. 50 साल, 121 फिल्में: ऋषि कपूर की विरासत

ऋषि कपूर को लंबे समय तक रोमांटिक हीरो की छवि में देखा गया, लेकिन उन्होंने इस छवि को तोड़ते हुए कई चैलेंजिंग किरदार भी निभाए। 90 के दशक के बाद, उन्होंने खुद को दोबारा परिभाषित किया।

‘अग्निपथ’ में उनका खलनायक अवतार देखकर हर कोई चौंक गया। यह भूमिका उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बनी और उन्हें इसके लिए IIFA बेस्ट नेगेटिव रोल का अवॉर्ड मिला।

‘कपूर एंड सन्स’ जैसे किरदारों से पुनर्जन्म

2016 में रिलीज हुई ‘कपूर एंड सन्स’ में उन्होंने 90 साल के बूढ़े का किरदार निभाया, जिसे मेकअप के जरिए रचा गया था। फिल्म में उनका किरदार हास्यपूर्ण, इमोशनल और दिल को छू लेने वाला था।

इस तरह उन्होंने दर्शकों को दिखाया कि वह सिर्फ रोमांस तक सीमित नहीं, बल्कि हर किरदार में फिट बैठने वाले कलाकार हैं।

4. जब ऋषि कपूर ने खुद कर दी थी अपने निधन की भविष्यवाणी

ऋषि कपूर अपनी बातों में बेहद खुले और बेबाक थे। उन्होंने एक बार कहा था कि जब वह मरेंगे तो शायद कोई उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकेगा। यह बात उन्होंने मजाक में कही थी लेकिन हकीकत में बदल गई।

2020 में कोरोना महामारी के चलते जब उनका निधन हुआ, तो लॉकडाउन के चलते बहुत ही कम लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाए।

कोरोना काल और अंतिम विदाई का सन्नाटा

यह सन्नाटा ऋषि कपूर की बातों की पुष्टि थी। जहां वह एक चमकता सितारा थे, वहीं उनकी अंतिम विदाई बेहद शांतिपूर्ण और सीमित लोगों के बीच हुई।

उनकी यह भविष्यवाणी सुनकर आज भी फैंस की आंखें नम हो जाती हैं।

5. पांच पीढ़ियों का सितारा: कपूर खानदान के चमकते रत्न

ऋषि कपूर, राज कपूर के बेटे और पृथ्वीराज कपूर के पोते थे—कपूर खानदान की तीसरी पीढ़ी के गौरवपूर्ण प्रतिनिधि। उन्होंने इस परंपरा को न केवल बनाए रखा, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

उनकी फिल्मों में वह परंपरा, विरासत और आधुनिकता का संगम दिखाई देता है।

राज कपूर के बेटे, रणबीर कपूर के पिता: एक अभिनय परंपरा का धागा

आज उनके बेटे रणबीर कपूर इंडस्ट्री के टॉप अभिनेताओं में से एक हैं। ये ऋषि कपूर की परवरिश और फिल्मी समझ का ही असर है। ऋषि कपूर का सफर अभिनय, परंपरा और विरासत का ऐसा संगम है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।


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