लाइफस्टाइल: जब हम गलत दिशा या जगह पर सोते हैं तो दादी हमें ऐसा करने से मना करती हैं। क्योंकि गलत दिशा में सोने से ना सिर्फ नींद में खलल पड़ता है बल्कि कई शारीरिक नुकसान भी होते हैं। जो लोग गलत दिशा में सोते हैं उन्हें बीमारियां होने का खतरा रहता है। यही कारण है कि शास्त्रों में सोने के लिए उचित दिशा को विशेष महत्व दिया गया है।
कई घरों में सोते समय दिशा का ध्यान रखा जाता है और लोग अपना बिस्तर आदि भी सही दिशा के अनुसार ही लगाते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और किसी भी दिशा में सिर करके सो जाते हैं। लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत और किस्मत दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है।
दादी अक्सर दक्षिण की ओर पैर करके सोने से मना करती हैं। दादी की ये बातें आपको अजीब या फिर कोई किंवदंती लग सकती हैं। लेकिन इसके कारण और नुकसान का वर्णन शास्त्रों और विज्ञान में भी किया गया है। अगर आप अपनी दादी की सलाह मानेंगे तो आप खुश रहेंगे और भविष्य में अशुभ घटनाओं से बचेंगे। आइए जानते हैं दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोने की मान्यता के पीछे का शास्त्रीय और वैज्ञानिक कारण।
शास्त्र क्या कहते हैं?
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि व्यक्ति के दैनिक कार्यों में नींद सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। शास्त्रों में नींद को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें तमोगुण होता है। क्योंकि नींद का सीधा संबंध रात से होता है और रात के समय को तमोगुण काल कहा जाता है। इसलिए शास्त्रों में शांतिपूर्ण नींद के लिए सही दिशा और स्थान का जिक्र किया गया है। शास्त्रों में मुख्यतः दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने की मनाही है। माना जाता है कि इस दिशा में पैर करके सोने से पितृदोष होता है। इसके अलावा नींद में भी खलल पड़ता है।
शास्त्रों में इसे यमराज की दिशा माना गया है। इसीलिए दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से मना किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण की ओर पैर करके सोने से व्यक्ति के शरीर में राजा-यम तरंगें आकर्षित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को नींद में खलल, बुरे सपने आना, डर के कारण अचानक जाग जाना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि दादी दक्षिण की ओर पैर करके सोने से मना करती हैं।
विज्ञान क्या कहता है
दादी-नानी और धर्मग्रंथों द्वारा बताई गई बातों का भी वैज्ञानिक आधार है। विज्ञान के अनुसार सोते समय शरीर में चुंबकीय विद्युत ऊर्जा का संचार होता है। इसी ऊर्जा से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और शांतिपूर्ण एवं सुखद नींद प्राप्त होती है। विज्ञान के अनुसार उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बीच एक चुंबकीय शक्ति है, जो दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होती रहती है। ऐसे में अगर आप दक्षिण की ओर पैर करके सोते हैं तो यह चुंबकीय ऊर्जा सिर की ओर जाती है।
पैरों से सिर तक इस चुंबकीय ऊर्जा के कारण जब कोई व्यक्ति अचानक सुबह उठता है तो उसे तनावपूर्ण माहौल का अनुभव होता है। ऐसे में पर्याप्त नींद के बाद भी उन्हें थकान महसूस होती है और शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है।
अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और विश्वास पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि एबीपी अस्मिता किसी भी तरह की वैधता, जानकारी का समर्थन नहीं करता है। किसी भी जानकारी या धारणा को लागू करने से पहले किसी संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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