img

धर्म: हर धर्म में पूजा-पाठ का महत्व है। चाहे आप किसी मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारे में जाएं, हर जगह सिर ढंकना अनिवार्य माना जाता है। यहां तक ​​कि घर के बड़े-बुजुर्ग या दादी-नानी भी अक्सर सिर ढकने के लिए कहते हैं। पूजा-पाठ के दौरान खासतौर पर सिर ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं।

जहां धार्मिक दृष्टि से सिर ढंकना आदर और सम्मान व्यक्त करने का एक जरिया है, वहीं विज्ञान का मानना ​​है कि सिर ढंकने से कई फायदे होते हैं। इसीलिए दादी हमें सिर ढकने के लिए कहती हैं।

आपकी दादी की ये बातें कुछ देर के लिए आपको अजीब या मिथक भी लग सकती हैं। लेकिन शास्त्रों और विज्ञान में इसके कारण और फायदे बताए गए हैं। अगर आप अपनी दादी की सलाह मानेंगे तो आप खुश रहेंगे और भविष्य में अशुभ घटनाओं से बचेंगे। आइए जानें कि दादी सिर ढकने के लिए क्यों कहती हैं।

सिर ढकने का धार्मिक महत्व

धार्मिक स्थलों पर सिर ढकना एक प्राचीन परंपरा है, जिसका पालन आज भी किया जाता है। दरअसल, धार्मिक स्थानों पर सिर ढंकना यह दर्शाता है कि आप उस स्थान और भगवान के प्रति सम्मान दिखा रहे हैं। सिर ढकने से आपका मन पूजा-पाठ में लगा रहता है। इसके अलावा, यदि आपका सिर ढका हुआ है, तो बाल पूजा सामग्री में गिर सकते हैं, जिससे सामग्री अशुद्ध हो सकती है। इसी वजह से पूजा के दौरान सिर ढंकना जरूरी माना जाता है।

सिर ढकने का वैज्ञानिक कारण

अनुष्ठानों का निश्चित रूप से वैज्ञानिक संबंध भी होता है। विज्ञान में भी सिर ढकना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। विज्ञान के अनुसार, नंगे सिर में विद्युत तरंगें प्रवेश कर सकती हैं, जिससे आपको सिरदर्द, आंखों की समस्या, गुस्सा, तनाव आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा बालों में चुंबकीय शक्ति होती है। इसलिए बीमारी फैलाने वाले कीटाणु आसानी से बालों के संपर्क में आ जाते हैं और बीमारी को बढ़ा देते हैं। लेकिन जब सिर ढका हो तो वह सुरक्षित रहता है। इसी वजह से सिर ढंकना जरूरी माना जाता है और यह नियम महिला और पुरुष दोनों पर लागू होता है।


Read More: मई 2025 व्रत-त्योहार कैलेंडर: बुद्ध पूर्णिमा से शनि जयंती तक, जानिए तिथियां, महत्व और पूजा मुहूर्त"