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हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति की इच्छा हर साधक रखता है। यह मान्यता है कि मोक्ष प्राप्त कर लेने से व्यक्ति जन्म और मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और उसे दोबारा इस धरती पर जन्म नहीं लेना पड़ता।
मोक्ष प्राप्ति के लिए सद्कर्म, त्याग और आध्यात्मिक साधना आवश्यक माने गए हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में अमृत स्नान भी मोक्ष प्राप्ति का एक मार्ग हो सकता है। हाल ही में महाकुंभ में भगदड़ के बाद मोक्ष की चर्चा फिर से तेज हो गई है।
आइए जानते हैं क्या है मोक्ष, सनातन धर्म में इसका महत्व, और किन कर्मों से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
मोक्ष क्या है?
मोक्ष का अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति और परमात्मा की शरण में जाना।
- सद्कर्म मोक्ष का आधार है।
- अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा होता है, लेकिन यदि कर्म में लोभ, वासना, क्रोध, घृणा शामिल हों, तो उसका फल नहीं मिलता।
- मोक्ष प्राप्ति के लिए व्यक्ति को नकारात्मक भावनाओं का त्याग करना आवश्यक है।
शिव पुराण में मोक्ष का उल्लेख
शिव पुराण में मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ स्थलों और धार्मिक कृत्यों का विशेष महत्व बताया गया है।
- हिमालय से निकली गंगा को सौ मुख वाली पुण्य सलिला कहा गया है।
- काशी, प्रयाग और अन्य तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से परमगति प्राप्त होती है।
- जो व्यक्ति श्रद्धा से भगवान बदरीनाथ, केदारनाथ, काशी के दर्शन करता है या फिर मानसरोवर (क्षीर सागर) का जल ग्रहण करता है, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है।
किन लोगों को मिलता है मोक्ष?
देवी पुराण के अनुसार, मोक्ष प्राप्ति के लिए केवल सन्यासी या साधु होना आवश्यक नहीं है। एक गृहस्थ भी सही कर्मों से मोक्ष का अधिकारी बन सकता है।
देवी पुराण में वर्णित मोक्ष प्राप्ति के नियम:
- जो व्यक्ति ईमानदारी से धन कमाता है और बिना अधिकार के किसी का धन नहीं लेता।
- जो व्यक्ति धार्मिक कर्मों को सही विधि से करता है।
- जो सत्य बोलता है और मन व शरीर से पवित्र रहता है।
यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है, तो वह गृहस्थ होते हुए भी मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
श्रीमद्भगवद गीता में मोक्ष के चार मार्ग
भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मोक्ष प्राप्ति के चार प्रमुख मार्ग बताए हैं:
- कर्मयोग: निस्वार्थ कर्म करना और फल की चिंता न करना।
- सांख्ययोग: आत्मा और शरीर के भेद को समझना और सत्य ज्ञान प्राप्त करना।
- ज्ञानयोग: ब्रह्म और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझना।
- भक्तियोग: ईश्वर की भक्ति और समर्पण द्वारा मोक्ष प्राप्त करना।
इन मार्गों पर चलने वाला व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक कर्म
1. तुलसी की पूजा
- जो व्यक्ति नियमित रूप से तुलसी की पूजा करता है या भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करता है, वह अपने पूर्व जन्मों के कर्मों से मुक्त हो सकता है।
2. एकादशी का व्रत
- एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. गंगा स्नान
- गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।