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वर्ष 2025 में होली का रंगों भरा त्यौहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। लेकिन इससे पहले, होलाष्टक की अवधि होती है, जो होली से ठीक आठ दिन पूर्व आरंभ होती है। इस अवधि के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है, क्योंकि इसे ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ माना जाता है।

होलाष्टक 2025 कब से प्रारंभ होगा?

साल 2025 में होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी और यह 14 मार्च तक चलेगा। इस अवधि का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है—'होली' और 'अष्टक'। यहां ‘अष्टक’ का अर्थ आठ दिनों से है, यानी होलाष्टक होली से ठीक आठ दिन पहले प्रारंभ होता है और पूर्णिमा तक चलता है।

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य क्यों वर्जित हैं?

ज्योतिष के अनुसार, होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति अशुभ होती है, जिसके कारण इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश, नामकरण, नया व्यापार प्रारंभ करना, मुंडन आदि करना वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए शुभ कार्यों में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के नियम

वास्तु शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दौरान नए घर में प्रवेश करना या गृह निर्माण कार्य आरंभ करना उचित नहीं माना जाता। यह इसलिए क्योंकि इस दौरान ग्रहों की ऊर्जा असंतुलित होती है और नए कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होती। यदि इस दौरान गृह प्रवेश किया जाता है, तो भविष्य में परिवार को परेशानियों और अशुभ प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।

ग्रहों की स्थिति और प्रभाव

होलाष्टक के दौरान आठ प्रमुख ग्रह—सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु—अशुभ प्रभाव डालते हैं। इन ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति के कारण इस समय शुभ कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

होलाष्टक का धार्मिक महत्व

होलाष्टक केवल ज्योतिषीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि में भगवान विष्णु और प्रह्लाद की भक्ति करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, और भक्त इस समय भगवान की आराधना कर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रयास करते हैं।

क्या होलाष्टक के दौरान कोई कार्य किया जा सकता है?

हालांकि इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है, लेकिन भक्ति, ध्यान, मंत्र जाप और दान जैसे धार्मिक कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से, इस अवधि में भगवान नरसिंह और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।


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