Surya Grahan 2025 : साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च, शनिवार को लगने वाला है। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी, जिसे दुनिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण का ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है, खासकर सूतक काल को लेकर। आइए जानते हैं इस सूर्य ग्रहण और इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से।

क्या होता है सूतक काल?
सूतक काल सूर्य या चंद्र ग्रहण से पहले का वह समय होता है, जब इसका प्रभाव बढ़ने लगता है। हिंदू धर्म में इसे अशुभ समय माना जाता है, और इस दौरान कई धार्मिक और मांगलिक कार्यों को करने से बचा जाता है।
सूतक काल से जुड़े नियम:
- सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है।
- इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
- कोई भी मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ और शुभ कार्य करने से परहेज किया जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
क्या भारत में सूतक काल मान्य होगा?
चूंकि 29 मार्च 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जहां ग्रहण नजर नहीं आता, वहां उसका सूतक काल भी प्रभावी नहीं होता।
कहां दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, एशिया और हिंद महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में न तो यह ग्रहण देखा जा सकेगा, और न ही इसका कोई धार्मिक प्रभाव होगा।
गर्भवती महिलाओं को क्यों बरतनी चाहिए सावधानी?
भले ही भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है, जिससे गर्भस्थ शिशु पर असर पड़ सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां:
- ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें।
- इस दौरान धार्मिक मंत्रों का जाप करें।
- तेज धार वाले उपकरणों जैसे चाकू और कैंची का इस्तेमाल न करें।
- अपने शरीर और मन को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करें।
क्या करें और क्या न करें?
| क्या करें | क्या न करें |
|---|---|
| ग्रहण के समय भगवान का ध्यान करें | ग्रहण के समय भोजन न करें |
| स्नान कर पवित्रता बनाए रखें | गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें |
| मंत्र जाप और हनुमान चालीसा पढ़ें | मांगलिक कार्य न करें |
| तुलसी के पत्ते जल में डालकर रखें | तेज धार वाले उपकरणों का प्रयोग न करें |
Read More: मई 2025 व्रत-त्योहार कैलेंडर: बुद्ध पूर्णिमा से शनि जयंती तक, जानिए तिथियां, महत्व और पूजा मुहूर्त"
Brijendra
Share



