
Shani's Sadesati 2025: ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना गया है, और इसी वजह से इसका गोचर अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक समय तक प्रभाव डालता है। साल 2025 में शनि एक महत्वपूर्ण खगोलीय परिवर्तन करने वाला है। 29 मार्च 2025 को शनि अपनी चाल बदलते हुए कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर चुका होगा। इस परिवर्तन का प्रभाव विशेष रूप से कुछ राशियों पर गहरा पड़ने वाला है।
शनि मीन राशि में जून 2027 तक रहेगा, यानी लगभग ढाई वर्षों तक यह गोचर जारी रहेगा। इस दौरान कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी, कुछ पर यह मध्य चरण में होगी और कुछ पर अंतिम चरण में। इन सभी राशियों को 2025 में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है क्योंकि साढ़ेसाती जीवन के कई पहलुओं—स्वास्थ्य, करियर, रिश्तों और वित्त—पर प्रभाव डाल सकती है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि 2025 में किन राशियों को शनि की साढ़ेसाती प्रभावित करेगी और इसका क्या असर हो सकता है।
मेष राशि: साढ़ेसाती का पहला चरण
मेष राशि के जातकों के लिए वर्ष 2025 में शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा। यह चरण जीवन में एक नये दौर की शुरुआत का संकेत देता है, लेकिन इसकी शुरुआत चुनौतियों से भरी हो सकती है। मानसिक रूप से तनाव और असमंजस की स्थिति बनी रह सकती है। कई बार ऐसा लगेगा कि आप अपने निर्णयों को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
इस समय संपत्ति से जुड़े विवाद सामने आ सकते हैं। पारिवारिक संपत्ति हो या कोई नया निवेश, इन मामलों में सावधानी से कदम बढ़ाना जरूरी है। कानूनी उलझनों से बचने के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा, धन की कमी या अचानक खर्चे आपको परेशान कर सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस में अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ सकता है जबकि व्यवसायियों के लिए यह समय जोखिम भरा हो सकता है।
मेष राशि के जातकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने निर्णयों में जल्दबाजी न करें। यह समय आत्मनिरीक्षण और धैर्य रखने का है। ध्यान और योग जैसी गतिविधियाँ मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेंगी।
कुंभ राशि: साढ़ेसाती का तीसरा चरण
कुंभ राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण वर्ष 2025 में जारी रहेगा। हालांकि यह अंतिम चरण होता है, लेकिन इसका असर कम नहीं होता। वास्तव में, यह समय अपने पुराने कर्मों का फल देने वाला होता है—अच्छा या बुरा, वह आपके पिछले प्रयासों पर निर्भर करता है।
इस चरण में व्यापारियों को नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। अचानक से आय में गिरावट, निवेश में घाटा या बड़े क्लाइंट्स के हाथ से निकलने जैसी परिस्थितियाँ सामने आ सकती हैं। नौकरीपेशा लोगों को भी कार्यस्थल पर तरह-तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि बॉस से टकराव, काम में असंतोष, या स्थानांतरण।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह समय सतर्क रहने का है। पुरानी बीमारियाँ उभर सकती हैं या नई परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर जोड़ों का दर्द, थकावट या नींद की समस्या। मानसिक रूप से भी थकान और निराशा का अनुभव हो सकता है। आत्मविश्वास में गिरावट आ सकती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
कुंभ राशि के जातकों को सलाह दी जाती है कि वे सकारात्मक सोच बनाए रखें, नियमित दिनचर्या का पालन करें और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखें। साथ ही, शनि के उपाय जैसे कि शनिवार को तेल का दान, शनि मंत्र का जाप, और जरूरतमंदों की मदद करना भी शुभ फल दे सकता है।