अब तक आपने चार ब्लड ग्रुप के बारे में सुना होगा। ये हैं- A, B, AB और O. यह ब्लड ग्रुप नेगेटिव या पॉजिटिव हो सकता है. अब वैज्ञानिकों ने एक नए ब्लड ग्रुप की पहचान कर 50 साल पुराने रहस्य को सुलझा लिया है। वैज्ञानिकों ने इस ब्लड ग्रुप का नाम 'MAL' रखा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस ब्लड ग्रुप की पहचान कर ऐसे मरीजों की पहचान की जा सकती है जिनमें इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप की कमी है।
अध्ययन के अनुसार, एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट (ब्रिस्टल), इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी (आईबीजीआरएल) और यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ रक्त समूह की पहचान की है। इस ब्लड ग्रुप की ख़ासियत यह है कि इसमें AnWj एंटीजन अनुपस्थित होता है। जबकि, यह एंटीजन 99.9 फीसदी लोगों में मौजूद होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस एंटीजन की कमी जीन में एक खास बदलाव के कारण हो सकती है।
एंटीजन की कमी आनुवंशिक हो सकती है
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बीमारी के कारण कुछ लोगों में AnWj एंटीजन की कमी हो सकती है। हालाँकि, इसकी वंशानुगत अनुपस्थिति बहुत दुर्लभ है। दुनिया भर में केवल कुछ ही व्यक्तियों की पहचान की गई है जिनके पास जन्म के समय AnWj एंटीजन नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस खोज से इस स्थिति वाले लोगों की पहचान करना आसान हो जाएगा। इस एंटीजन की आनुवंशिक कमी इतनी दुर्लभ है कि अब तक अरब-इज़राइली वंश के केवल एक ऐसे परिवार की पहचान की गई है।
एंटीजन की खोज 1972 में हुई थी
जानकारी के मुताबिक, 1972 में वैज्ञानिकों ने पाया कि एक गर्भवती महिला के रक्त के नमूनों में AnWj एंटीजन गायब था। वैज्ञानिकों ने तब सोचा कि यह कोई नया ब्लड ग्रुप हो सकता है। हालाँकि, इसकी आनुवंशिक उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 99.9 प्रतिशत लोगों में AnWj एंटीजन होता है और यह लाल रक्त कोशिकाओं पर MAL प्रोटीन बनाता है, लेकिन AnWj एंटीजन नेगेटिव लोगों की RBC में यह प्रोटीन नहीं होता है। अध्ययनों से पता चला है कि जिन व्यक्तियों में AnWj एंटीजन नेगेटिव है, उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कई प्रकार के कैंसर या रक्त संबंधी रोग।
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