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Prayagraj Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेले में स्नान आत्मा और मन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा एक महत्वपूर्ण आयोजन है। महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं।
लेकिन महाकुंभ में केवल स्नान ही नहीं, बल्कि शाही स्नान और अमृत स्नान का भी विशेष महत्व है। कई लोग इन दोनों स्नानों के बीच के अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं। आइए, जानते हैं कि शाही स्नान और अमृत स्नान क्या हैं और इनमें क्या अंतर है।
महाकुंभ में शाही स्नान क्या होता है?
1. शाही स्नान का महत्व
महाकुंभ में शाही स्नान एक विशेष अनुष्ठान है, जिसे कुंभ मेले की सबसे महत्वपूर्ण और भव्य घटना माना जाता है।
यह स्नान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर किया जाता है।
इस दौरान साधु-संतों, अखाड़ों और ऋषि-मुनियों को सबसे पहले स्नान कराया जाता है।
मान्यता है कि इस स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शाही स्नान तब किया जाता है जब ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति सबसे शुभ होती है।
2. क्यों कहा जाता है इसे 'शाही' स्नान?
इस स्नान में अखाड़ों के संत, नागा साधु और महंत सबसे पहले पवित्र डुबकी लगाते हैं।
उनके पीछे श्रद्धालु स्नान करते हैं, जिससे इसे राजसी (शाही) स्वरूप प्राप्त होता है।
इसे शाही स्नान इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह विशेष तिथियों पर बड़े स्तर पर किया जाता है।
महाकुंभ में अमृत स्नान क्या होता है?
1. अमृत स्नान का महत्व
अमृत स्नान का महत्व आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मा के पवित्रीकरण से जुड़ा हुआ है।
इसमें सबसे पहले साधु-संत और अखाड़ों के संन्यासी स्नान करते हैं।
इसके बाद श्रद्धालु और आम लोग संगम में डुबकी लगाते हैं।
यह स्नान पापों का नाश करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।
अमृत स्नान को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पुण्यदायी माना गया है।
2. अमृत स्नान की तिथियां (महाकुंभ 2025)
महाकुंभ में कुल तीन अमृत स्नान होते हैं:
पहला अमृत स्नान: 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति)
दूसरा अमृत स्नान: 29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या)
तीसरा अमृत स्नान: 3 फरवरी 2025 (वसंत पंचमी)
इन तिथियों को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए इस दौरान स्नान करने से अमृत के समान फल मिलता है।
शाही स्नान और अमृत स्नान में अंतर
शाही स्नान | अमृत स्नान |
---|---|
कुंभ मेले की सबसे भव्य और प्रमुख घटना | आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का स्नान |
साधु-संत और अखाड़ों के प्रमुख महंतों द्वारा किया जाता है | पहले संत स्नान करते हैं, फिर श्रद्धालु |
ग्रहों और नक्षत्रों की सबसे शुभ स्थिति में किया जाता है | अमृत तिथि पर किया जाता है |
इसे करना सौभाग्यशाली माना जाता है | इसे करने से आत्मा शुद्ध होती है और पाप नष्ट होते हैं |