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Maha Kumbh 2025 Bathing : महाकुंभ 2025 में करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे हैं, ताकि उन्हें आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति हो। माना जाता है कि त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है। लेकिन अगर स्नान के बाद कुछ जरूरी कार्य न किए जाएं, तो इसका पूर्ण फल नहीं मिलता।
अगर आप महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं या कर चुके हैं, तो यह जानना बहुत जरूरी है कि स्नान के बाद कौन-कौन से कार्य करने चाहिए। आइए जानते हैं कि कुंभ स्नान के बाद किन धार्मिक कार्यों को करने से पुण्य प्राप्ति होती है।
1. स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं
महाकुंभ में स्नान के तुरंत बाद श्रद्धालुओं को सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है। जल चढ़ाते समय आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
2. तुलसी की परिक्रमा करें
स्नान के बाद तुलसी के पौधे की परिक्रमा करना बहुत आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी परिक्रमा के कुंभ स्नान अधूरा रहता है। परिक्रमा के दौरान यह मंत्र जपना चाहिए –
"महाप्रसाद जननी, समस्त सौभाग्य को बढ़ाने वाली, समस्त रोगों को दूर करने वाली, तुलसी को नमन।"
इससे जीवन में शुभता आती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
3. जरूरतमंदों को दान करें
महाकुंभ में स्नान के बाद दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अपनी क्षमता के अनुसार भोजन, वस्त्र, धन या अन्य उपयोगी वस्तुएं जरूरतमंदों को दान करें। ऐसा करने से पुण्य मिलता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से अन्नदान और गौसेवा को अत्यंत फलदायी माना गया है।
4. भगवान हनुमान और नाग वासुकी के दर्शन करें
शाही स्नान के बाद हनुमान मंदिर और नाग वासुकी मंदिर के दर्शन करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन मंदिरों में दर्शन किए बिना महाकुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी रहती है।
- हनुमान मंदिर: इस मंदिर में लेटे हुए हनुमानजी की विशाल प्रतिमा है। यहां दर्शन करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
- नाग वासुकी मंदिर : यह मंदिर नाग देवता को समर्पित है। यहां दर्शन करने से कुंडली दोष और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है।
5. अक्षयवट वृक्ष के दर्शन करें
संगम में स्नान करने के बाद अक्षयवट के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। यह प्राचीन वृक्ष प्रयागराज किले के अंदर स्थित है और माना जाता है कि इसके दर्शन मात्र से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान श्रीराम ने भी गंगा पार करने से पहले अक्षयवट की पूजा की थी।