दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का एक विशेष त्योहार है, जो सदियों से मनाया जाता है। दिवाली रोशनी, प्रकाश और खुशियों का त्योहार है। लेकिन आपको यह जानना चाहिए कि किन परिस्थितियों में आपको दिवाली का त्योहार नहीं मनाना चाहिए।
कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या परिवार में किसी की मौत के बाद दिवाली मनाई जा सकती है या नहीं। तो हम आपको बता दें कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में जन्म से लेकर मृत्यु तक के नियम हैं और हमें अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार इन नियमों का पालन करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने से परिवार समस्याओं से मुक्त रहता है।
अगर परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या हम दिवाली मना सकते हैं?
धार्मिक दृष्टि से यदि दिवाली के दिन परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस दिन यह त्यौहार नहीं मनाया जाता है। क्योंकि इस समय पूजा-पाठ जैसे कार्य वर्जित होते हैं। क्योंकि इस दौरान सूतक काल होता है जो 10 दिन से लेकर एक महीने तक का होता है। सूतक लगने के दौरान परिवार को त्योहार नहीं मनाना चाहिए और मृतक की आत्मा की शांति के लिए परिवार को मिलकर प्रार्थना करनी चाहिए।
जब दिवाली पर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो कई परिवार वर्षों तक त्योहार नहीं मनाते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यदि किसी त्योहार के दौरान परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो त्योहार अमान्य माना जाता है।
आम धारणा के अनुसार जिस दिन या जिस वर्ष परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो उस दिन दिवाली नहीं मनानी चाहिए। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अगर उसी दिन परिवार में नया जन्म हो या नई दुल्हन का आगमन हो तो यह त्योहार दोबारा मनाया जा सकता है।
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