img

Chaitra Navratri 2025 : नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें भक्तगण नौ दिनों तक माता दुर्गा की आराधना करते हैं। दसवें दिन व्रत पारण के साथ यह पर्व समाप्त होता है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस साल नवरात्रि तिथियों में बदलाव के कारण 9 की बजाय 8 दिन की होगी। आइए जानते हैं नवरात्रि की सही तिथियां, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और विशेष पूजा विधियां।

चैत्र नवरात्रि 2025: इस साल कितने दिन की होगी?

इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी। इस बार द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण, नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिन की होगी।

क्या तिथि क्षय अशुभ होती है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में तिथि क्षय (किसी तिथि का लुप्त हो जाना) शुभ संकेत नहीं माना जाता। इसे अनिष्टकारी समझा जाता है, क्योंकि इससे धार्मिक अनुष्ठान की पूर्णता बाधित होती है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

घट स्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है, जिसे शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। इस बार घट स्थापना के दो उत्तम मुहूर्त बताए जा रहे हैं:

  • प्रातः 6:12 बजे से 10:20 बजे तक – इस समय घट स्थापना करने से सुख-समृद्धि और धन लाभ का योग बनता है।
  • अभिजित मुहूर्त: 11:59 बजे से 12:49 बजे तक – इस समय की गई घट स्थापना से स्वास्थ्य, सौभाग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।

चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और महानवमी कब हैं?

महाअष्टमी तिथि: 5 अप्रैल 2025
महानवमी तिथि: 6 अप्रैल 2025

इन दोनों दिनों को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन:
 माता को नारियल, चना और पूरी का भोग चढ़ाया जाता है।
9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया जाता है।
संधि काल में विशेष पूजा और दुर्गा सप्तशती पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

दुर्गा स्तुति मंत्र

नवरात्रि के दौरान माता की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य करें:

या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः।।

इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से शांति, शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


Read More: मई 2025 व्रत-त्योहार कैलेंडर: बुद्ध पूर्णिमा से शनि जयंती तक, जानिए तिथियां, महत्व और पूजा मुहूर्त"