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Budget 2025: एक समय था जब रेलवे बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। रेलवे बजट का विशेष महत्व था क्योंकि यह सरकार के राजस्व का मुख्य स्रोत था। इस बजट में नई ट्रेनों की शुरुआत, पटरियों का विस्तार, और किराए में वृद्धि या कटौती जैसी घोषणाएं की जाती थीं। लेकिन 2017 से रेलवे बजट और केंद्रीय बजट को एक कर दिया गया, जिससे यह ऐतिहासिक परंपरा समाप्त हो गई।

रेलवे बजट की शुरुआत कब और कैसे हुई?

रेलवे बजट की शुरुआत 1924 में हुई थी। 1921 में ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के अध्यक्ष सर विलियम एकवर्थ ने रेलवे के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नई प्रणाली लागू करने की सिफारिश की थी। उनकी समिति ने सुझाव दिया कि रेलवे का बजट अलग से पेश किया जाए। ब्रिटिश सरकार ने इस सुझाव को स्वीकार करते हुए 1924 में पहला रेलवे बजट पेश किया।

आजादी के बाद, 1947 में देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने स्वतंत्र भारत का पहला रेलवे बजट पेश किया। इसके बाद यह परंपरा हर साल जारी रही। लेकिन 2016 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आखिरी बार रेलवे बजट पेश किया और इसके बाद इसे आम बजट में मिला दिया गया।

रेलवे बजट को खत्म करने की जरूरत क्यों पड़ी?

जब ब्रिटिश सरकार ने रेलवे बजट को अलग से पेश करने की परंपरा शुरू की थी, तब रेलवे राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत था। लेकिन समय के साथ परिवहन के अन्य साधन जैसे सड़क, हवाई यात्रा, बस और निजी वाहन बढ़ने लगे, जिससे रेलवे की आमदनी पर असर पड़ा।

महत्वपूर्ण आंकड़े:

  • 1970 के दशक में कुल सरकारी राजस्व में रेलवे का योगदान 30% था।
  • 2015-16 तक यह घटकर मात्र 11.5% रह गया।

इस गिरावट के चलते नीति आयोग और अन्य आर्थिक विशेषज्ञों ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का सुझाव दिया, जिसे सरकार ने 2016 में स्वीकार कर लिया।

रेल बजट और आम बजट का विलय कब हुआ?

21 सितंबर 2016 को केंद्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया। उस समय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। इसके बाद 1 फरवरी 2017 को पहली बार एकीकृत बजट पेश किया गया और 92 साल पुरानी परंपरा समाप्त हो गई।

इस बदलाव के कई फायदे हुए:
समय की बचत – अब रेलवे बजट पर अलग से चर्चा करने की जरूरत नहीं रही।
आर्थिक स्थिरता – रेलवे को अब सरकार को लाभांश देने की आवश्यकता नहीं रही।
बेहतर प्रबंधन – रेलवे को अपनी वित्तीय जरूरतें बेहतर ढंग से संभालने का अवसर मिला।
लोकलुभावन घोषणाओं पर रोक – पहले सरकारें राजनीतिक लाभ के लिए रेलवे बजट में घोषणाएं करती थीं, जिससे अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता था।