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भारत सरकार ने मार्च 2024 में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए नई EV पॉलिसी की घोषणा की थी। इस पॉलिसी का उद्देश्य विदेशी कंपनियों, खासकर टेस्ला जैसी बड़ी EV निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करना था। अब सरकार इसमें बदलाव करने की योजना बना रही है ताकि इस पॉलिसी को और अधिक आकर्षक बनाया जा सके और देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग को तेजी से बढ़ावा दिया जा सके।

मौजूदा EV पॉलिसी के प्रमुख बिंदु

मौजूदा पॉलिसी के तहत:

  • विदेशी EV कंपनियों को तीन साल में 4,150 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवेश करना अनिवार्य था।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में छूट दी गई थी, जो मौजूदा 110% से घटाकर 15% कर दी गई थी।
  • यह रियायत प्लांट लगाने की मंजूरी मिलने के बाद पांच साल तक लागू रहने वाली थी।

नई EV पॉलिसी में संभावित बदलाव

EV इंडस्ट्री से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर सरकार अब इस पॉलिसी में कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत:

  • पहले से किए गए निवेश को भी पॉलिसी में शामिल किया जा सकता है।
  • कंपनियों के लिए स्थानीय उत्पादन (लोकलाइजेशन) का लक्ष्य आसान बनाया जा सकता है।
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।

पॉलिसी कब से होगी लागू?

EV सेक्टर की कंपनियों को इस पॉलिसी का लाभ कब से मिलेगा, इस पर भी चर्चा हो रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, SMEC (Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars) की गाइडलाइन अगले दो हफ्तों में पूरी हो जाएगी और इसे अगले महीने तक जारी कर दिया जाएगा।

चार्जिंग स्टेशन पर निवेश को भी मिलेगी रियायत

सरकार केवल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट ही नहीं, बल्कि चार्जिंग स्टेशन के लिए किए गए निवेश को भी छूट के दायरे में लाने की योजना बना रही है

  • कंपनियों को EV प्लांट लगाने के लिए तीन साल का समय मिलेगा।
  • ऑपरेशन शुरू होने के पांच साल के भीतर 50% लोकलाइजेशन अनिवार्य होगा।
  • चार्जिंग स्टेशन पर किए गए निवेश को भी 500 मिलियन डॉलर के निवेश कमिटमेंट में शामिल किया जा सकता है।

राज्यों को इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए मिलेगा ब्याज-मुक्त लोन

EV सेक्टर को गति देने के लिए सरकार ने बजट में 10,000 करोड़ रुपये का पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप फंड आवंटित किया है।

  • इसका इस्तेमाल चार्जिंग स्टेशन और अन्य EV इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाएगा।
  • इसके अलावा, राज्यों को EV इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त लोन दिया जाएगा।