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RBI on pre-payment penalty: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अहम प्रस्ताव पेश किया है, जिससे उधारकर्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी। अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए फ्लोटिंग दर वाले ऋणों के जल्द भुगतान पर किसी भी प्रकार का पूर्व-भुगतान दंड या फौजदारी शुल्क नहीं लगेगा। यह नियम व्यक्तिगत ऋणधारकों के साथ-साथ सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) पर भी लागू होगा।

आरबीआई ने इस प्रस्ताव पर सुझाव देने के लिए 21 मार्च 2025 तक की समय सीमा तय की है। यदि यह नियम लागू होता है, तो उधारकर्ताओं को अधिक लचीलापन मिलेगा, जिससे वे अपनी वित्तीय योजनाओं को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे।

उधारकर्ताओं को मिलेगी अधिक स्वतंत्रता

आरबीआई के मसौदा पत्र में कहा गया है कि कई बैंक और वित्तीय संस्थाएं अपने उधारकर्ताओं को सस्ते या बेहतर ऋणदाताओं के पास जाने से रोकने के लिए अपने समझौतों में कठोर शर्तें जोड़ती हैं। इससे ग्राहकों के पास विकल्प सीमित हो जाते हैं और वे महंगे ब्याज दर वाले ऋणों को जारी रखने के लिए मजबूर होते हैं।

नई व्यवस्था के तहत:

  • बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान बिना किसी लॉक-इन अवधि के ऋण के पूर्व भुगतान या फोरक्लोजर की अनुमति देंगे।
  • उधारकर्ता किसी भी समय अपने ऋण का पूरा या आंशिक भुगतान कर सकेंगे, जिससे ब्याज का बोझ कम होगा।
  • बेहतर शर्तों वाले ऋणों की तलाश करने वालों को अब कोई बाधा नहीं झेलनी पड़ेगी।

यह कदम उधारकर्ताओं को उनकी वित्तीय स्थिति के अनुसार सही ऋणदाता चुनने की आजादी देगा और उन्हें महंगे ऋणों के चंगुल से बाहर निकलने का मौका मिलेगा।

बैंकों को नहीं वसूलना होगा कोई अतिरिक्त शुल्क

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान पूर्व-भुगतान या फोरक्लोजर पर अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकेगा। यदि पहले से कोई शुल्क लागू किया गया है, तो उसे नए नियमों के तहत हटाना होगा।

इस बदलाव से:
उधारकर्ताओं की वित्तीय योजनाएं अधिक सुगम होंगी।
अनावश्यक शुल्कों से राहत मिलेगी।
बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहक को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।

इस निर्णय से कर्जदारों को जल्द से जल्द ऋण-मुक्त होने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ेगी।

किन ऋणों पर लागू होगा यह नया नियम?

मौजूदा नियमों के अनुसार, कुछ विशेष श्रेणियों की वित्तीय संस्थाओं को ही फ्लोटिंग दर वाले ऋणों पर पूर्व-भुगतान शुल्क लगाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब आरबीआई इस दायरे को और विस्तृत कर रहा है।

नए प्रस्ताव के तहत:
टियर-1 और टियर-2 सहकारी बैंक
प्रारंभिक चरण की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) को छोड़कर सभी NBFCs
सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSME) के व्यावसायिक ऋण

हालांकि, मध्यम उद्यमों के लिए यह छूट तभी मिलेगी, जब उनकी प्रति उधारकर्ता स्वीकृत ऋण सीमा 7.50 करोड़ रुपये तक होगी।

आरबीआई का उद्देश्य

आरबीआई का यह प्रस्ताव वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाने और उधारकर्ताओं को अधिक स्वतंत्रता देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

इस बदलाव के मुख्य फायदे:
उधारकर्ताओं को बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
वे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ऋण का जल्द भुगतान कर सकेंगे।
बाजार में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे उधारकर्ताओं को बेहतर ब्याज दरों पर ऋण मिल सकेगा।