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Mukesh Ambani in Maha Kumbh : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस वर्ष भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। यह महापर्व भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण है। इसी कड़ी में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंचे और त्रिवेणी संगम में स्नान कर इस आध्यात्मिक आयोजन का हिस्सा बने।
मुकेश अंबानी परिवार सहित पहुंचे महाकुंभ
मुकेश अंबानी अपनी मां कोकिलाबेन अंबानी, बेटों आकाश और अनंत अंबानी, पुत्रवधुओं श्लोका और राधिका, पोते पृथ्वी और वेद, तथा बहनों दीप्ति सालगांवकर और नीना कोठारी के साथ इस भव्य आयोजन में शामिल हुए। पूरा अंबानी परिवार प्रयागराज के अरेल घाट पहुंचा और गंगा पूजन कर संगम में पवित्र स्नान किया।
गंगा पूजन के बाद पहुंचे परमार्थ निकेतन आश्रम
महाकुंभ में अंबानी परिवार के आगमन पर निरंजनी अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरिजी महाराज ने उनके लिए विशेष गंगा पूजन करवाया। इसके बाद मुकेश अंबानी और उनके परिजन परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच मिठाइयां और जीवनरक्षक जैकेट वितरित किए, जिससे उनकी सेवा भावना स्पष्ट झलकती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा महाकुंभ में सेवा कार्य
महाकुंभ में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अपनी 'पिलग्रिम सर्विस' के माध्यम से तीर्थयात्रियों की सेवा में भी जुटी हुई है।
'वी केयर दर्शन' सेवा के तहत भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित परिवहन सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच के लिए विशेष चिकित्सा शिविरों की व्यवस्था की गई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के इन प्रयासों से लाखों श्रद्धालुओं को लाभ मिल रहा है, जिससे यह महाकुंभ अधिक सुविधाजनक और व्यवस्थित हो रहा है।
महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक
इस साल का महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हुआ था और यह 26 फरवरी को संपन्न होगा। अब तक 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं, जबकि शुरुआत में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया गया था।
आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता का महापर्व
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जहां लोग जाति, धर्म और क्षेत्र की सीमाओं को पार कर एक साथ संगम स्नान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं।