US tariff Impact on India: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ नीतियों को लेकर वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने की बात कही गई थी, लेकिन ट्रंप की "Reciprocal Tariffs" नीति भारत के लिए नई आर्थिक चुनौतियां खड़ी कर सकती है।
ट्रंप ने घोषणा की है कि वे अप्रैल 2024 से Reciprocal Tariffs लागू करेंगे, जिससे भारत सहित कई देशों के निर्यात उद्योगों पर असर पड़ सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नीति के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को हर साल 7 बिलियन डॉलर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है।
कौन-कौन से सेक्टर होंगे प्रभावित?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्र प्रभावित होंगे। CitiGroup की रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति का सबसे बड़ा प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों पर पड़ सकता है:
- केमिकल और मेटल प्रोडक्ट्स – अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले रसायन और धातु उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगने से इस उद्योग पर खासा असर पड़ेगा।
- ज्वेलरी सेक्टर – भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में हीरे, सोने और चांदी के आभूषण निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से यह सेक्टर नुकसान झेल सकता है।
- ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री – भारत से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली ऑटोमोबाइल और स्पेयर पार्ट्स महंगे हो सकते हैं, जिससे व्यापार प्रभावित होगा।
- फार्मास्युटिकल्स – भारतीय दवा कंपनियां अमेरिकी बाजार में बड़ी भूमिका निभाती हैं। अगर टैरिफ बढ़ा, तो भारतीय दवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
- फूड प्रोडक्ट्स – भारतीय मसाले, चाय, कॉफी, और अन्य खाद्य उत्पाद भी प्रभावित हो सकते हैं।
- टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्री – अमेरिका में भारतीय कपड़े और चमड़े के उत्पादों की अच्छी मांग है, लेकिन टैरिफ बढ़ने से यह मांग घट सकती है।
हालांकि, अन्य सेक्टर्स की तुलना में टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्री पर इसका प्रभाव थोड़ा कम होगा, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2024 में भारत ने अमेरिका को क्या-क्या बेचा?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में भारत ने अमेरिका को सबसे अधिक हीरे, रत्न और आभूषण (Pearls, Gems, & Jewelry) निर्यात किए। इनकी कुल कीमत लगभग 8.5 बिलियन डॉलर थी।
इसके अलावा, अन्य प्रमुख निर्यात इस प्रकार थे:
| सेक्टर | कुल निर्यात मूल्य (बिलियन डॉलर) |
|---|---|
| फार्मास्युटिकल्स | 8.0 |
| पेट्रोकेमिकल्स | 4.0 |
| टेक्सटाइल और गारमेंट्स | 3.5 |
| ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स | 2.8 |
भारत का औसत व्यापार टैरिफ 11% है, जबकि अमेरिका का औसत टैरिफ केवल 2.8% है। यही वजह है कि ट्रंप "Reciprocal Tariffs" की मांग कर रहे हैं।
भारत पर ही अमेरिका की नजर क्यों?
अमेरिका को भारत के टैरिफ ढांचे से सबसे ज्यादा दिक्कत इसलिए है क्योंकि:
- अमेरिका भारत को हर साल 42 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात करता है, लेकिन भारतीय बाजार में इस पर भारी टैरिफ लगाया जाता है।
- कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- लकड़ी और मशीनरी पर 7% टैरिफ
- जूते और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट पर 15-20% टैरिफ
- खाद्य उत्पादों पर 68% तक टैरिफ
अमेरिका में खाद्य उत्पादों पर औसत टैरिफ सिर्फ 5% है, जबकि भारत में यह 39% तक है। इसके अलावा, भारत अमेरिकी मोटरसाइकिलों पर 100% टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय बाइक्स पर सिर्फ 2.4% टैरिफ लगाता है।
क्या होगा भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर असर?
अगर ट्रंप की Reciprocal Tariffs नीति लागू होती है, तो:
- भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में कठिनाई होगी।
- अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे इनकी मांग कम हो सकती है।
- इससे भारत को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक नुकसान होगा।
- भारत सरकार को अमेरिका के साथ एक नए व्यापार समझौते पर काम करना होगा, जिससे इन प्रभावों को कम किया जा सके।
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Brijendra
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