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Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 48 सीटें जीतकर सरकार बनाने का रास्ता साफ कर लिया है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को केवल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। भाजपा की इस बड़ी जीत के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, लेकिन दो प्रमुख मुद्दों—आठवां वेतन आयोग और 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर शून्य कर—ने मतदाताओं को खासा प्रभावित किया। इन दोनों घोषणाओं ने खासतौर पर दिल्ली के मध्यम वर्ग के लोगों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया।

भाजपा की जीत के प्रमुख कारण

1. नया कर स्लैब: मध्यम वर्ग को बड़ी राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा। यह घोषणा खासतौर पर वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत लेकर आई, जो दिल्ली जैसे महंगे शहर में कर के बोझ से परेशान था।

  • पहले जहां 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय कर-मुक्त थी, अब इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया।
  • इस फैसले का सबसे ज्यादा फायदा नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को हुआ, जो दिल्ली में सबसे बड़ा मतदाता समूह है।
  • यह निर्णय भाजपा की 'मिडिल क्लास फ्रेंडली' छवि को और मजबूत करने में कारगर साबित हुआ।

इस कर कटौती से आम लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी, जिससे भाजपा को चुनाव में सीधा फायदा हुआ।

2. 8वें वेतन आयोग की घोषणा: सरकारी कर्मचारियों को फायदा

भाजपा सरकार ने नया कर स्लैब लागू करने से पहले 8वें वेतन आयोग की घोषणा कर दी थी। इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को आर्थिक रूप से मजबूती मिली।

  • वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ा, जिससे वे भाजपा के पक्ष में आए।
  • पेंशनभोगियों को भी इस आयोग का लाभ मिला, जिससे वरिष्ठ नागरिकों में भाजपा के प्रति सकारात्मक धारणा बनी।
  • सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार चुनाव में एक प्रभावी मतदाता समूह होते हैं, जिसने भाजपा को निर्णायक बढ़त दिलाई।

इस प्रकार, यह फैसला भाजपा के लिए चुनावी मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ।

3. सत्ता विरोधी लहर और अरविंद केजरीवाल की गिरती लोकप्रियता

आम आदमी पार्टी की हार की एक बड़ी वजह सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) भी रही।

  • 10 साल सत्ता में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार से लोगों का मोहभंग हो गया था।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के बावजूद, दिल्ली की वायु गुणवत्ता और यमुना नदी का बढ़ता प्रदूषण लोगों के असंतोष का मुख्य कारण बना।
  • केजरीवाल सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास में कोई बड़ा सुधार नहीं किया, जिससे सड़कों और सीवर की बदहाल स्थिति पर जनता में रोष था।

4. भ्रष्टाचार के आरोप और नेताओं की गिरफ्तारी

चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे।

  • सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया।
  • अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा न देने पर जनता में नाराजगी बढ़ी।
  • भाजपा ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया, जिससे मतदाता ‘आप’ से दूर हो गए।

5. मुफ्त योजनाओं का असर कम हुआ

आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यकाल में कई फ्री स्कीम्स चलाईं, जैसे:

  • मुफ्त बिजली और पानी
  • महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा

हालांकि, इस बार जनता को लगा कि इन योजनाओं से दिल्ली के बुनियादी ढांचे में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ।

  • सड़कों और सीवरों की स्थिति जस की तस बनी रही।
  • ट्रैफिक और पार्किंग की समस्याएं गंभीर बनी हुई थीं।
  • लोगों को लगा कि मुफ्त सुविधाओं से ज्यादा जरूरी शहर के मूलभूत विकास पर ध्यान देना है।