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Health : हमारा शरीर एक जटिल मशीन की तरह काम करता है, जिसमें हर अंग की अपनी एक अहम भूमिका होती है। इन्हीं अंगों में से एक है — किडनी (गुर्दा)। यह छोटा-सा अंग न केवल खून को छानकर शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है, बल्कि शरीर के तरल संतुलन, इलेक्ट्रोलाइट्स और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। लेकिन सोचिए, अगर यही किडनी किसी वजह से ठीक से काम करना बंद कर दे, तो हमारे पूरे स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

अक्सर ऐसा होता है कि हम जाने-अनजाने कुछ आदतों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं जो धीरे-धीरे किडनी को नुकसान पहुंचाती रहती हैं। ये आदतें शुरू में सामान्य लग सकती हैं, लेकिन समय के साथ ये आपके गुर्दों की कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।

आइए विस्तार से जानते हैं उन 6 आदतों के बारे में जो आपकी किडनी के लिए खतरा बन सकती हैं और जिन्हें बदलना ही आपकी सेहत के लिए जरूरी है।

1. अधिक नमक का सेवन करना

नमक का स्वाद भले ही खाने को मज़ेदार बना देता हो, लेकिन यही नमक अगर अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह धीरे-धीरे आपकी किडनी को प्रभावित कर सकता है। नमक में मुख्य रूप से सोडियम होता है, जो शरीर में पानी को रोककर रखता है और रक्तचाप को बढ़ाता है।

जब रक्तचाप अधिक होता है, तो यह किडनी की छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है। लंबे समय तक यह दबाव बना रहे, तो गुर्दों की क्षति शुरू हो जाती है। इससे किडनी की फ़िल्टरिंग क्षमता कम होने लगती है और शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं।

आजकल ज्यादातर लोग प्रोसेस्ड फूड, पैकेज्ड स्नैक्स, फास्ट फूड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं। इनमें अत्यधिक मात्रा में सोडियम होता है जो हमें बिना एहसास के ही नुकसान पहुंचाता रहता है।

क्या करें:

नमक की मात्रा को सीमित करें

फास्ट फूड और रेडीमेड स्नैक्स से बचें

खाने में नींबू, हर्ब्स या मसालों का उपयोग करके स्वाद बढ़ाएं

2. उच्च रक्तचाप को नजरअंदाज करना

उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हमारे अंगों को नुकसान पहुंचाता है। किडनी इस बीमारी का पहला शिकार बन सकती है।

जब रक्तचाप लगातार ऊंचा बना रहता है, तो इससे किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी हो जाती हैं या उनका लचीलापन खत्म हो जाता है। इससे किडनी को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता और उसका कार्य धीमा होने लगता है।

यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह किडनी फेल होने तक की स्थिति पैदा कर सकती है। दुर्भाग्य से बहुत से लोग उच्च रक्तचाप को हल्के में लेते हैं और समय पर इसका इलाज नहीं कराते।

क्या करें:

नियमित रूप से रक्तचाप की जांच कराएं

डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें

नमक, तनाव और जंक फूड से दूर रहें

व्यायाम और योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं

3. अत्यधिक प्रोटीन का सेवन करना

प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों के निर्माण और ऊतकों की मरम्मत के लिए बेहद ज़रूरी है। लेकिन जब हम जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो यह किडनी पर दबाव डाल सकता है।

क्यों? क्योंकि जब प्रोटीन का मेटाबोलिज्म होता है, तो उसमें नाइट्रोजन जैसे अपशिष्ट उत्पाद बनते हैं जिन्हें शरीर से बाहर निकालने की जिम्मेदारी किडनी की होती है। अधिक प्रोटीन का मतलब है अधिक अपशिष्ट, और इसका अर्थ है अधिक मेहनत किडनी के लिए।

विशेष रूप से वे लोग जो पहले से किडनी की किसी बीमारी से पीड़ित हैं, उनके लिए हाई-प्रोटीन डाइट और भी खतरनाक हो सकती है।

क्या करें:

अपने प्रोटीन इनटेक को बैलेंस करें

जरूरत पड़ने पर किसी डाइटीशियन से सलाह लें

अगर किडनी की कोई समस्या है तो प्रोटीन इनटेक सीमित रखें

4. पर्याप्त पानी न पीना

पानी शरीर के लिए जीवनदायी तत्व है, और किडनी की सेहत इसके बिना अधूरी है। जब आप पर्याप्त पानी नहीं पीते, तो किडनी को शरीर से टॉक्सिन्स और अपशिष्ट बाहर निकालने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

कम पानी पीने से पेशाब केंद्रित हो जाता है और इसमें मौजूद खनिज क्रिस्टल का रूप लेने लगते हैं, जिससे पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह संक्रमण की संभावना को भी बढ़ाता है क्योंकि बैक्टीरिया शरीर में ज्यादा समय तक रहते हैं।

क्या करें:

रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं

गर्मियों में या ज्यादा पसीना आने पर पानी की मात्रा बढ़ाएं

अगर पेशाब का रंग गहरा है, तो यह संकेत है कि आपको और पानी पीने की जरूरत है

5. मधुमेह को नियंत्रण में न रखना

मधुमेह यानी डायबिटीज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ा होता है। जब ब्लड शुगर लगातार ऊंचा बना रहता है, तो यह किडनी की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

गुर्दों को छानने वाले फिल्टर (नेफ्रॉन्स) अत्यधिक शर्करा के प्रभाव में आकर धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यदि यह स्थिति समय रहते ठीक न हो, तो किडनी फेल हो सकती है, जिसे "डायबेटिक नेफ्रोपैथी" कहा जाता है।

क्या करें:

नियमित रूप से ब्लड शुगर चेक कराएं

डाइट में चीनी और कार्बोहाइड्रेट को नियंत्रित करें

डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाएं और इंसुलिन लें

वज़न नियंत्रण और शारीरिक गतिविधि पर ध्यान दें