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Akshaya Tritiya: हर साल जब अक्षय तृतीया का दिन नज़दीक आता है, तो देशभर के हिंदू परिवारों में एक खास उत्साह देखने को मिलता है। यह दिन न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया हर शुभ कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता, उसका फल हमेशा के लिए अक्षय यानी अमिट होता है। इसीलिए लोग इस दिन नए कार्यों की शुरुआत, कीमती वस्तुएं खरीदना, खासकर सोना-चांदी, वाहन या नई खाता-बही खरीदना शुभ मानते हैं।

भारत में विशेषकर विवाह के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर इस दिन विवाह करना इतना विशेष क्यों होता है।

अक्षय तृतीया विवाह के लिए क्यों है खास?

धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, अक्षय तृतीया का दिन ऐसा होता है जब ब्रह्मांडीय शक्तियां पूरी तरह से सकारात्मक होती हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी सबसे तेज चमक में होते हैं, जिसे ज्योतिष में अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन किया गया विवाह दीर्घकालिक सुख, समृद्धि और प्रेम लेकर आता है।

शास्त्रों में उल्लेख है कि अक्षय तृतीया पर विवाह करने वाले जोड़े जीवनभर एक-दूसरे के साथ सुखपूर्वक रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विवाह करने से रिश्ते में स्थायित्व और भावनात्मक गहराई आती है। यही वजह है कि देशभर में हजारों विवाह इसी दिन आयोजित किए जाते हैं।

अबूझ मुहूर्त का महत्व

अक्षय तृतीया को “अबूझ मुहूर्त” कहा जाता है, जिसका मतलब है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए अलग से पंचांग देखने या मुहूर्त निकालने की जरूरत नहीं होती। यह एक ऐसा दिन है जो स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। विशेषकर उन जोड़ों के लिए जो पूरे साल अच्छे मुहूर्त का इंतजार कर रहे होते हैं, अक्षय तृतीया एक सुनहरा अवसर लेकर आती है।

इस दिन विवाह करने से यह भी माना जाता है कि वर-वधू को ईश्वर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। चाहे आपकी कुंडली में विलंब का योग हो या फिर ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो, अक्षय तृतीया वह दिन है जब ये बाधाएं प्रभावहीन हो जाती हैं।

मांगलिक दोष और अक्षय तृतीया

कई बार विवाह योग्य लड़के-लड़कियों की कुंडलियां मेल नहीं खातीं या उनमें मांगलिक दोष होते हैं। ऐसे में परिवार चिंतित रहते हैं कि विवाह कब और कैसे होगा। लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार, अक्षय तृतीया पर विवाह करने से कुंडली के ऐसे दोषों का प्रभाव बहुत कम हो जाता है या समाप्त हो जाता है।

इसका मतलब यह हुआ कि यदि दो लोग एक-दूसरे से विवाह करना चाहते हैं लेकिन उनकी कुंडलियों में मेल नहीं बैठता, तो भी वे इस पावन दिन पर विवाह कर सकते हैं। इस दिन की सकारात्मक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति दोषों को नष्ट कर सुखद दांपत्य जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है।

अक्षय तृतीया पर विवाह से जुड़े शुभ उपाय

अगर आप चाहते हैं कि आपका विवाह जल्दी हो और उसमें कोई बाधा न आए, तो अक्षय तृतीया के दिन कुछ खास उपाय करने की सलाह दी जाती है। इन उपायों से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और विवाह के योग जल्दी बनते हैं:

भगवान शिव और माता पार्वती का रुद्राभिषेक करें। इससे वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है।

किसी शिव मंदिर में मिट्टी के बर्तन दान करें। यह समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है, जो रिश्तों को मजबूत करता है।

विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने का खास उपाय

अगर आपके विवाह में किसी प्रकार की बाधा आ रही है, तो एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है:

एक साबुत नारियल लें।

अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए अपना नाम और गोत्र बोलें।

किसी पवित्र बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।

परिक्रमा के बाद वह नारियल पेड़ के नीचे छोड़ दें।

यह उपाय बहुत प्रभावी माना जाता है और इससे विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।


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