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Health Tips : गर्मी का मौसम जैसे ही दस्तक देता है, हमारे शरीर पर इसका असर दिखने लगता है। बच्चों के लिए ये मौसम खासा चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उनकी त्वचा नाजुक और संवेदनशील होती है। अप्रैल से जून के बीच का समय, जब तापमान चरम पर होता है, तब शरीर में अत्यधिक पसीना आता है और यही पसीना घमौरियों का कारण बनता है। आपने शायद टीवी पर वह मशहूर विज्ञापन कई बार देखा होगा—"गर्मी का मौसम आ गया है और इसके साथ ही घमौरियां भी आने वाली हैं।" ये सिर्फ एक लाइन नहीं है, बल्कि हर घर की हकीकत है।

घमौरियां बच्चों को बेचैन कर देती हैं। जलन, खुजली और चुभन की वजह से बच्चे चैन से बैठ नहीं पाते। बाजार में भले ही ढेरों क्रीम और पाउडर मौजूद हों, लेकिन उनमें मौजूद केमिकल्स बच्चों की नाजुक त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसीलिए प्राकृतिक और घरेलू उपाय ज्यादा असरदार और सुरक्षित माने जाते हैं।

आइए जानते हैं, गर्मियों में बच्चों को घमौरियों से राहत दिलाने के लिए आप कौन-कौन से घरेलू और सुरक्षित उपाय अपना सकते हैं।

हीटस्ट्रोक और घमौरियों से बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी क्यों होती है?

बच्चों की त्वचा वयस्कों की तुलना में ज्यादा नाजुक होती है। गर्मियों में जब तापमान 40 डिग्री के पार चला जाता है, तो शरीर का कूलिंग सिस्टम यानी पसीना, त्वचा के छिद्रों से बाहर निकलना शुरू करता है। लेकिन अगर ये पसीना बाहर न निकल पाए तो वह रोमछिद्रों को बंद कर देता है। यही बंद रोमछिद्र बाद में घमौरियों का रूप ले लेते हैं।

घमौरियों की वजह से त्वचा पर छोटे-छोटे लाल चकत्ते और दाने हो जाते हैं। इनसे जलन और खुजली शुरू हो जाती है, जो बच्चों के लिए असहनीय हो जाती है।

इसके अलावा, गर्मियों में अगर बच्चे सिंथेटिक या टाइट कपड़े पहनते हैं, तो उनकी त्वचा सांस नहीं ले पाती। इससे पसीना अंदर ही बंद हो जाता है और त्वचा पर घमौरियां उभरने लगती हैं।

बच्चों को गर्मी में होने वाली घमौरियों से बचाने के घरेलू उपाय

1. गुलाब जल और चंदन पाउडर का लेप

गुलाब जल और चंदन दोनों ही ठंडक पहुंचाने वाले प्राकृतिक तत्व हैं। चंदन में त्वचा को शांत करने और सूजन को कम करने की क्षमता होती है, वहीं गुलाब जल त्वचा को फ्रेश और हाइड्रेट रखता है।

उपयोग का तरीका:

एक चम्मच चंदन पाउडर लें।

इसमें उतना ही गुलाब जल मिलाएं कि एक गाढ़ा पेस्ट तैयार हो जाए।

इस पेस्ट को घमौरियों वाली जगह पर लगाएं।

10-15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।

यह उपाय दिन में एक बार जरूर आजमाएं। लगातार तीन दिन तक इस्तेमाल से जलन और चुभन में स्पष्ट राहत महसूस होगी।

2. एलोवेरा जेल – प्रकृति का शीतल स्पर्श

एलोवेरा को आयुर्वेद में 'घृतकुमारी' कहा गया है, जिसका अर्थ है वह जड़ी-बूटी जो शरीर को ठंडक देती है। यह जलन को शांत करता है, त्वचा को पोषण देता है और संक्रमण से बचाता है।

कैसे इस्तेमाल करें:

ताजा एलोवेरा की पत्ती लें और उसमें से जेल निकालें।

इस जेल को सीधे घमौरियों पर लगाएं।

20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर ठंडे पानी से धो लें।

एलोवेरा रोजाना लगाने से न सिर्फ घमौरियों से राहत मिलेगी बल्कि बच्चे की त्वचा भी साफ और कोमल बनी रहेगी।

3. मुल्तानी मिट्टी – ठंडक और शुद्धता का मेल

मुल्तानी मिट्टी में त्वचा से गंदगी और अतिरिक्त तेल को सोखने की अद्भुत क्षमता होती है। यह त्वचा को ठंडक देने के साथ-साथ घमौरियों को सुखाने में भी मदद करता है।

बनाने का तरीका:

एक बाउल में दो चम्मच मुल्तानी मिट्टी लें।

इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें।

इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।

सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें।

यह उपाय सप्ताह में 2-3 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। बच्चों की त्वचा को साफ और घमौरियों से मुक्त रखने में यह बेहद कारगर है।

4. बर्फ और ठंडे पानी से स्नान – फौरन राहत का तरीका

जब घमौरियों की जलन असहनीय हो जाती है, तो तुरंत राहत पाने के लिए बर्फ और ठंडे पानी का उपयोग बेहद असरदार होता है।

उपयोग का तरीका:

कुछ आइस क्यूब लें और उन्हें एक साफ कपड़े में लपेट लें।

इस कपड़े को धीरे-धीरे प्रभावित जगहों पर लगाएं।

इसके अलावा, नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से बच्चों को नहलाएं।

नीम का एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को संक्रमण से बचाता है और ठंडे पानी से नहाने से तुरंत राहत मिलती है।

5. खीरे का रस और दही – ठंडक और नमी का मेल

खीरा और दही दोनों ही त्वचा को ठंडक प्रदान करने में बेहद प्रभावी हैं। खीरा शरीर से गर्मी निकालने में मदद करता है, जबकि दही त्वचा को नमी और शीतलता देती है।

उपयोग का तरीका:

एक छोटा खीरा कद्दूकस कर लें और उसका रस निकाल लें।

इसमें दो चम्मच ताजा दही मिलाएं।

इस मिश्रण को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें।

ये उपाय सप्ताह में 2-3 बार करने से न सिर्फ घमौरियों से राहत मिलेगी बल्कि त्वचा भी नर्म और मुलायम बनेगी।