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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को एक बड़ी और बहुप्रतीक्षित घोषणा करते हुए विश्व के 57 देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया। यह कदम अमेरिकी व्यापार नीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है, जिसका असर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर महसूस किया जा सकता है। हालांकि इस घोषणा के कुछ ही समय बाद ट्रंप ने कुछ देशों को इस निर्णय से आंशिक रूप से राहत दी और टैरिफ की दरों में भी कुछ हद तक बदलाव किया।

लेकिन इस बीच एक बड़ा भूचाल उस वक्त आया जब चीन ने 4 अप्रैल 2025 को अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ कड़ा जवाब देते हुए वहां से आयात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर 34 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। चीन की यह प्रतिक्रिया ट्रंप द्वारा चीनी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में थी, जो पहले ही 34 प्रतिशत की दर से लागू किया जा चुका था।

अमेरिकी कंपनियों पर चीन की बड़ी कार्रवाई

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, यह नया शुल्क 10 अप्रैल से लागू होगा और इसका सीधा असर अमेरिका से चीन में निर्यात होने वाले उत्पादों पर पड़ेगा। इससे पहले, अमेरिका ने अपने व्यापारिक साझेदारों पर जो टैरिफ लगाए थे, उसे चीन ने अनुचित और एकतरफा बताया है। चीन ने इस फैसले के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भी शिकायत दर्ज कराई है, जो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर बनाता है।

इसके साथ ही चीन ने अमेरिका की 16 प्रमुख कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके द्वारा दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया है। इन कंपनियों पर यह आरोप लगाया गया है कि वे ऐसे उत्पादों का निर्यात करती हैं जो सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

चीन का सख्त विरोध और तीखी प्रतिक्रिया

चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने 3 अप्रैल को बयान देते हुए कहा कि चीन अमेरिकी टैरिफ के इस निर्णय का कड़ा विरोध करता है और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। ट्रंप द्वारा लगाए गए 34 प्रतिशत शुल्क को "कठोर और अनुचित" करार देते हुए प्रवक्ता ने यह भी कहा कि इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर और अधिक दबाव पड़ेगा, जो पहले से ही ऋण संकट और रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी जैसी समस्याओं से जूझ रही है।

समस्या का समाधान नहीं है टैरिफ वृद्धि: चीन की चेतावनी

चीन ने अमेरिकी प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह वैश्विक व्यापार में कथित नुकसान का हवाला देकर सभी साझेदारों पर टैरिफ थोप रहा है। चीन ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों और विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों के विरुद्ध है। अमेरिका ने अपने "एकतरफा मूल्यांकन" के आधार पर यह फैसला लिया है, जो वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कमजोर कर सकता है।

व्यापक पैकेज के तहत ट्रंप की आक्रामक नीति

डोनाल्ड ट्रंप ने इस कदम को "व्यापारिक मुक्ति" का दिन करार दिया है। उनके अनुसार, यह वह दिन है जिसका अमेरिका लंबे समय से इंतजार कर रहा था। इस घोषणा के तहत चीन से आने वाले सामानों पर कुल मिलाकर अब 54 प्रतिशत शुल्क लगने लगा है। ट्रंप ने इसे अमेरिका की "नई व्यापार नीति" की शुरुआत बताया है, जो देश के हितों की रक्षा करने के लिए जरूरी थी।

भारत समेत कई देशों को इस फैसले के दायरे में लाया गया है। भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।


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