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रविवार को दक्षिणी लेबनान में इजरायली सेना द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 22 प्रदर्शनकारी मारे गए और 124 से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की कि ये प्रदर्शनकारी इजरायली सेना से युद्धविराम समझौते के तहत दक्षिणी लेबनान से वापसी की मांग कर रहे थे। मारे गए लोगों में 6 महिलाएं और एक लेबनानी सैनिक भी शामिल हैं।
घटनाक्रम: प्रदर्शनकारियों ने गांवों में घुसने की कोशिश की
इजरायली-हिजबुल्लाह युद्ध को रोकने के लिए नवंबर के अंत में किए गए संघर्ष विराम समझौते के तहत इजरायली बलों को 60 दिनों के भीतर दक्षिणी लेबनान से हटना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस देरी के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने कई गांवों में घुसने की कोशिश की।
इनमें से कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथ में हिजबुल्लाह के झंडे थे।
गोलीबारी में घायल होने वालों की संख्या 20 से अधिक गांवों तक फैली हुई है।
इजरायल का रुख: हिजबुल्लाह को रोकने की दलील
इजरायल का कहना है कि लेबनानी सेना ने क्षेत्र में पूरी तरह से तैनाती नहीं की है।
इजरायल ने अपनी स्थिति को यह कहते हुए सही ठहराया कि वह हिजबुल्लाह के फिर से उभरने से रोकने के लिए क्षेत्र में बना हुआ है।
उनका दावा है कि जब तक लेबनानी सेना क्षेत्र को पूरी तरह नियंत्रित नहीं करती, उन्हें दक्षिणी लेबनान में रहना पड़ेगा।
हिजबुल्लाह पर प्रदर्शन भड़काने का आरोप
इजरायली सेना ने रविवार के विरोध प्रदर्शन के लिए हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया।
सेना ने एक बयान में कहा कि उनके सैनिकों ने उन इलाकों में गोलीबारी की, जहां संदिग्ध गतिविधि देखी गई।
इजरायली सेना ने कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ जारी है।
लेबनानी राष्ट्रपति का बयान
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने दक्षिणी लेबनान के निवासियों को आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा, "लेबनान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं होगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि वह लेबनानी नागरिकों के अधिकारों और सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
दक्षिणी लेबनान लंबे समय से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष का केंद्र रहा है।
नवंबर में हुए संघर्ष विराम के बाद, यह सहमति बनी थी कि 60 दिनों के भीतर इजरायली सेना क्षेत्र से हट जाएगी।
हालांकि, इजरायल ने हिजबुल्लाह की सक्रियता का हवाला देते हुए अब तक अपनी सेनाओं को वापस नहीं बुलाया है।