
Assam Police Arrest Mahbubul Hoque : असम पुलिस ने शनिवार, 22 फरवरी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय (USTM) के चांसलर महबुबुल हक को फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया। उनकी गिरफ्तारी असम पुलिस की स्पेशल फोर्स और श्रीभूमि जिला पुलिस की संयुक्त टीम ने गुवाहाटी स्थित उनके आवास से तड़के सुबह की।
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
महबुबुल हक की गिरफ्तारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के आदेश के बाद हुई। पिछले साल गुवाहाटी में निजी विश्वविद्यालयों को लेकर विवाद के बाद मुख्यमंत्री ने हक के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।
मुख्यमंत्री सरमा के गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया था कि गुवाहाटी के बाहरी इलाके जोराबाट पहाड़ियों में निजी विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों द्वारा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इसी कारण शहर में अचानक बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है।
सरमा ने कहा कि बंगाली मूल के मुस्लिम महबुबुल हक के स्वामित्व वाला विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय (USTM) "बाढ़-जिहाद" छेड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय द्वारा पहाड़ियों में अंधाधुंध निर्माण कार्य और वनों की कटाई से गुवाहाटी जलभराव की समस्या का सामना कर रहा है।
जंगलों की कटाई का आरोप
सीएम सरमा के अनुसार, 2008 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने जोराबाट पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की। उनका कहना है कि इन गतिविधियों के कारण बारिश का पानी सीधे गुवाहाटी शहर में प्रवेश कर जाता है, जिससे भारी जलभराव हो जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय परिसर में बनाए गए मेडिकल कॉलेज ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। इस नए निर्माण के चलते जंगलों की कटाई और बढ़ गई, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा।
सरमा ने सुझाव दिया कि असम के छात्रों को इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना बंद कर देना चाहिए ताकि निर्माण कार्य स्वतः ही रुक जाए।
USTM प्रशासन ने किया आरोपों का खंडन
USTM प्रशासन ने मुख्यमंत्री सरमा के आरोपों को सिरे से खारिज किया। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि USTM का परिसर मेघालय के री-भोई जिले के जोराबाट क्षेत्र में स्थित है और इसका केवल एक छोटा सा हिस्सा असम के बारीदुआ क्षेत्र तक फैला हुआ है।
प्रवक्ता के अनुसार, यह इलाका पहले से ही जीएस रोड के दोनों किनारों पर विकसित हो चुका है, और विश्वविद्यालय को लेकर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं।