महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक पर्व है। सनातन धर्म में इसका विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव स्वयं शिवलिंग में वास करते हैं, और इस रात्रि में की गई आराधना, दान और पूजा का विशेष फल मिलता है।
महाशिवरात्रि पर की गई शिव भक्ति सभी कष्टों को दूर करती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। इस दिन चार प्रहर में विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक करने का महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अभिषेक मंत्र।
महाशिवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त और तिथि
- तिथि आरंभ: 26 फरवरी 2025, सुबह 11:08 बजे
- तिथि समाप्त: 27 फरवरी 2025, सुबह 8:54 बजे
शिव पूजा का निशिता काल मुहूर्त
- रात 12:09 बजे से 12:59 बजे तक (27 फरवरी 2025)
व्रत पारण का समय
- सुबह 6:48 बजे से 8:54 बजे तक (27 फरवरी 2025)
महाशिवरात्रि पर 4 प्रहर की पूजा विधि
1. प्रथम प्रहर (शाम को) – ईशान स्वरूप की पूजा
- भगवान शिव के ईशान स्वरूप का दूध से अभिषेक करें।
- यह पूजा व्यक्ति के सभी पापों को दूर करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।
2. द्वितीय प्रहर (रात में) – अघोर स्वरूप की पूजा
- भगवान शिव के अघोर स्वरूप का दही से अभिषेक करें।
- यह व्यक्ति के संकटों का नाश करता है और सौभाग्य प्रदान करता है।
3. तृतीय प्रहर (मध्य रात्रि) – वामदेव स्वरूप की पूजा
- भगवान शिव के वामदेव स्वरूप का घी से अभिषेक करें।
- यह पूजा शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करती है।
4. चौथे प्रहर (अंतिम पहर) – सद्योजात स्वरूप की पूजा
- भगवान शिव के सद्योजात स्वरूप का शहद से अभिषेक करें।
- यह कष्टों से मुक्ति दिलाकर जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा के मंत्र
- प्रथम प्रहर: 'ह्रीं ईशानाय नमः'
- द्वितीय प्रहर: 'ह्रीं अघोराय नमः'
- तृतीय प्रहर: 'ह्रीं वामदेवाय नमः'
- चौथे प्रहर: 'ह्रीं सद्योजाताय नमः'
महाशिवरात्रि का महत्व
- महाशिवरात्रि की पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
- शिवलिंग का अभिषेक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सुख-समृद्धि लाता है।
- यह दिन सभी पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्ति का विशेष अवसर होता है।
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Brijendra
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