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महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS) के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है। रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) फिलहाल इस संक्रमण की जांच में जुटी हुई है।

पुणे नगर निगम के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव ने बताया कि अब तक 67 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 13 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इस बीमारी के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है और संभावित कारणों की जांच की जा रही है।

क्या है गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS)?

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ तंत्रिका तंत्र से जुड़ी ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों (nerves) पर हमला करती है।

  • यह मांसपेशियों में कमजोरी और सुन्नपन पैदा करता है।
  • यह शरीर के निचले हिस्से से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है।
  • अगर गंभीर स्थिति हो जाए, तो यह पक्षाघात (Paralysis) का कारण बन सकता है।

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी के शुरुआती लक्षण आमतौर पर पैरों और पंजों में कमजोरी और झुनझुनी के रूप में सामने आते हैं। धीरे-धीरे यह ऊपरी शरीर और भुजाओं तक फैल सकता है।

अन्य प्रमुख लक्षण:

स्थिर चाल – चलने में परेशानी और गिरने की आशंका बढ़ जाती है।
सीढ़ियाँ चढ़ने में कठिनाई – मांसपेशियों में कमजोरी के कारण चढ़ाई मुश्किल हो जाती है।
हृदय गति में बदलाव – दिल की धड़कन तेज या धीमी हो सकती है।
 उंगलियों, टखनों और कलाइयों में झुनझुनी या सुन्नता – शरीर के विभिन्न हिस्सों में झनझनाहट महसूस होती है।
 कम रक्तचाप (Low BP) – ब्लड प्रेशर अचानक गिर सकता है।
 मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द – मांसपेशियों में असहनीय दर्द हो सकता है।
 दुर्बलता (Weakness) – शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, जिससे दैनिक कार्य प्रभावित होते हैं।
गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत – स्थिति गंभीर होने पर फेफड़े भी प्रभावित हो सकते हैं, जिससे वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।

अगर इन लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम के संभावित कारण

GBS के सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली के असंतुलन के कारण होता है।

संभावित कारण:

 वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण – गले या पेट में किसी संक्रमण के बाद यह बीमारी विकसित हो सकती है।
 सर्जरी या गंभीर बीमारी – कुछ मामलों में ऑपरेशन के बाद यह सिंड्रोम उभर सकता है।
 न्यूरोपैथी (तंत्रिका संबंधी समस्याएं) – जिन लोगों को पहले से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हैं, वे ज्यादा जोखिम में होते हैं।
 हाल ही में हुआ टीकाकरण – कुछ मामलों में वैक्सीन के बाद इम्यून सिस्टम ओवररिएक्ट कर सकता है, लेकिन यह बेहद दुर्लभ है।

क्या गुइलेन-बैरी सिंड्रोम संक्रामक है?

 नहीं! गुइलेन-बैरी सिंड्रोम संक्रामक (Infectious) या आनुवंशिक (Genetic) नहीं है।
यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 30 से 50 वर्ष की उम्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

पुणे में बढ़ते मामलों का कारण क्या है?

पुणे में रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) प्रभावित इलाकों में घर-घर जाकर सर्वे कर रही है और पानी के नमूने ले रही है।

 शुरुआती जांच में इस बीमारी के फैलने का संभावित कारण जल प्रदूषण माना जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग लोगों को साफ पानी पीने और स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दे रहा है।

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम से जुड़ी जटिलताएँ

GBS तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे शरीर के विभिन्न कार्य प्रभावित होते हैं।

 सांस लेने में दिक्कत – स्थिति बिगड़ने पर मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।
 हृदय संबंधी समस्याएँ – अनियमित धड़कन या ब्लड प्रेशर का अचानक गिरना।
 दर्द और खून के थक्के – मरीज को गंभीर दर्द महसूस हो सकता है, और शरीर में थक्का बनने का खतरा बढ़ सकता है।
 मूत्राशय और आंत्र की समस्याएँ – पेशाब या मल त्याग में कठिनाई हो सकती है।

कुछ मामलों में, GBS से उबरने के बाद भी रोगी को दोबारा यह बीमारी हो सकती है।

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम का इलाज

GBS एक गंभीर और संभावित जीवन-घातक स्थिति हो सकती है, लेकिन समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

1. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)

 प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasmapheresis) – इसमें खून से एंटीबॉडीज को हटाया जाता है, जो नसों पर हमला कर रही होती हैं।
 इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG) – इसमें मरीज को स्वस्थ डोनर से लिए गए इम्यून प्रोटीन दिए जाते हैं, जो बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं।

2. वेंटिलेटर सपोर्ट

 अगर मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, तो उसे वेंटिलेटर पर रखा जाता है।
 यह गंभीर मामलों में जीवनरक्षक साबित हो सकता है।

3. फिजियोथेरेपी और पुनर्वास (Rehabilitation)

 कमजोरी और लकवे से उबरने के लिए फिजियोथेरेपी दी जाती है।
 मरीज को धीरे-धीरे अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक्सरसाइज़ कराई जाती है।

सावधानियाँ और सलाह

 अगर आपको GBS के लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
 संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें और साफ पानी का सेवन करें।
 अगर आप पुणे या प्रभावित क्षेत्रों में हैं, तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें।