
Earthquake in Nepal today : नेपाल में शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025 को शाम 7:52 बजे एक मध्यम तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.0 मापी गई। इस भूकंप का केंद्र भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ में था, जिसकी गहराई करीब 20 किलोमीटर बताई गई है। राहत की बात यह रही कि इस भूकंप से किसी जानमाल के नुकसान की खबर अब तक सामने नहीं आई है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, नेपाल के अलावा उत्तर भारत के कुछ हिस्सों जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी इस भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि, झटके अधिक समय तक नहीं रहे, फिर भी लोगों में घबराहट का माहौल जरूर देखने को मिला।
नेपाल: हमेशा भूगर्भीय खतरों के साए में
नेपाल विश्व के उन क्षेत्रों में शामिल है जो भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील माने जाते हैं। यह इलाका टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर स्थित है, जिसकी वजह से यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इससे पहले भी नेपाल में कई विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं, जिनमें 2015 का विनाशकारी भूकंप प्रमुख है, जिसने हजारों लोगों की जान ले ली थी और लाखों को बेघर कर दिया था।
एक ही दिन में कई क्षेत्रों में भूकंप
4 अप्रैल को नेपाल में भूकंप आने से कुछ ही दिन पहले, 28 मार्च को म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी शक्तिशाली भूकंप दर्ज किए गए थे। इन भूकंपों ने व्यापक तबाही मचाई और हजारों परिवारों को बेघर कर दिया। इसी दिन सुबह के वक्त नेपाल में भी 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके झटके भारत के बिहार, सिलीगुड़ी, और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों तक महसूस किए गए।
म्यांमार में तबाही और भारत की मदद
म्यांमार में आए इस शक्तिशाली भूकंप ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। लाखों लोग विस्थापित हुए और इमारतें ध्वस्त हो गईं। भारत सरकार ने तुरंत सहायता के लिए 'ऑपरेशन ब्रह्मा' नामक राहत मिशन शुरू किया, जिसके तहत न केवल राहत सामग्री भेजी गई, बल्कि बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक स्थलों के पुनर्निर्माण की भी योजना बनाई गई है।
भारत-तिब्बत सीमा और थाईलैंड भी प्रभावित
भारत और तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने भी 28 मार्च को सुबह भूकंप के झटके महसूस किए थे। वहीं, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भूकंप के कारण एक निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत गिर गई, जिससे कई मजदूर घायल हो गए।
सोलापुर, महाराष्ट्र में भी हल्के झटके
3 अप्रैल 2025 को, महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले में भी हल्के भूकंप के झटके दर्ज किए गए, जिनकी तीव्रता 2.6 थी। यह भूकंप सांगोला क्षेत्र के पास करीब पांच किलोमीटर की गहराई में आया था। हालांकि यह झटका ज्यादा नुकसानदेह नहीं रहा, फिर भी यह संकेत देता है कि पश्चिमी भारत में भी भूगर्भीय गतिविधियां बढ़ रही हैं।
भविष्य को लेकर आशंका
बीते कुछ दिनों में नेपाल, भारत, म्यांमार और थाईलैंड जैसे पड़ोसी देशों में लगातार आ रहे भूकंपों ने एक बार फिर क्षेत्र की भूगर्भीय सक्रियता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचलें निकट भविष्य में और भी बड़े भूकंप का संकेत दे सकती हैं। ऐसे में सरकारों और नागरिकों दोनों को सतर्क रहना होगा।