
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद, चीन ने अब सख्त प्रतिक्रिया देते हुए अपने देश में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को 84 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है। यह निर्णय इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चीन अब इस व्यापार युद्ध में पीछे हटने को कतई तैयार नहीं है। चीन के इस कदम से यह संदेश दिया गया है कि वह अमेरिका की आक्रामक नीतियों का मुंहतोड़ जवाब देगा।
चीन के वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह नया शुल्क 12 अप्रैल 2025 से लागू होगा और अगर अमेरिका चीन के आर्थिक हितों को इसी तरह नुकसान पहुंचाता रहा, तो चीन चुप नहीं बैठेगा। मंत्रालय ने तीखा बयान देते हुए कहा कि चीन “आखिरी सांस तक जवाब देगा।” यह बयान न केवल कड़ा है बल्कि यह भी दिखाता है कि अब यह संघर्ष केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक व्यापक रणनीतिक मोर्चा बनता जा रहा है।
शी जिनपिंग का अमेरिका पर सीधा हमला
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पहली बार खुलकर अमेरिका की आलोचना करते हुए यह संदेश दिया कि अमेरिका की नीतियों से वैश्विक शांति और सहयोग को नुकसान हो रहा है। बीजिंग में स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ के साथ मुलाकात के दौरान जिनपिंग ने कहा, “व्यापार युद्ध में कोई भी विजेता नहीं होता। जो देश दुनिया के खिलाफ चलता है, वह खुद को ही अलग-थलग कर लेता है।”
उन्होंने आगे कहा कि चीन किसी के दबाव में झुकने वाला नहीं है। यह एक स्पष्ट चेतावनी है कि चीन अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक नीति अपनाने के मूड में है। उन्होंने यूरोपीय संघ से चीन के साथ खड़े होने की अपील की और अमेरिका की “एकतरफा धौंस” का विरोध करने की मांग की।
अंतर्राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश
चीन ने न केवल यूरोप से सहयोग मांगा है, बल्कि भारत सहित अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से भी अमेरिका की नीतियों के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। शी जिनपिंग का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अमेरिका के खिलाफ वैश्विक स्तर पर साझेदारी जरूरी है।
भारत और चीन के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई है। चीन यह दर्शाने की कोशिश कर रहा है कि अब यह केवल दो देशों का मुद्दा नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन का मामला है। यदि अमेरिका की मनमानी पर रोक नहीं लगी तो पूरा विश्व आर्थिक अस्थिरता के दलदल में फंस सकता है।
अमेरिका की रणनीति: ट्रम्प का टैरिफ हमला
राष्ट्रपति ट्रम्प का रवैया इस पूरे मामले में बेहद आक्रामक रहा है। उन्होंने चरणबद्ध तरीके से चीन पर टैरिफ बढ़ाए—पहले 10 प्रतिशत, फिर 34 प्रतिशत, फिर 50 प्रतिशत और अब सीधे 145 प्रतिशत तक पहुँचा दिया है। इसमें फेंटानिल से जुड़ा 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है, जो पहले से लागू था।
व्हाइट हाउस का तर्क है कि यह निर्णय अमेरिकी उद्योगों की रक्षा के लिए जरूरी है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस तरह के भारी शुल्क से अमेरिकी उत्पाद चीन में अप्रासंगिक हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी निर्यात को जबरदस्त नुकसान हो सकता है। नतीजतन, अमेरिकी कंपनियों को चीन जैसे बड़े बाजार से हाथ धोना पड़ सकता है।